झारखंड: CBI जांच की जेनरल कन्सेंट वापसी का मतलब,सरकार की परमिशन बिना एंट्री नहीं

Smart News Team, Last updated: Fri, 6th Nov 2020, 6:30 AM IST
  • झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. हेमंत सोरेन सरकार ने सीबीआई को राज्य में केस या जांच करने के लिए दी गई जेनरल कन्सेंट वापस ले ली है. 
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सीबीआई को दी गई जेनरल कन्सेंट वापस ले ली है.

रांची. झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई को राज्य में केस या जांच करने के लिए दी गई जेनरल कन्सेंट वापस ले ली है. इसका सीधा मतलब ये है कि सीबीआई अब बिना झारखंड सरकार की मंजूरी के राज्य में ना तो जांच कर पाएगी और ना ही कोई नया केस दर्ज कर सकेगी. राज्य में सीबीआई को ये जनरल कंसेंट 1996 में अविभाजित बिहार की लालू यादव सरकार ने दिया था जो नया स्टेट बनने के बाद चला आ रहा था. कुछ दिन पहले महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार और दो दिन पहले केरल सरकार ने भी सीबीआई को राज्य से मिली ब्लैंकेट सहमति वापस ले ली थी.

क्या होता है सीबीआई जांच का जेनरल कन्सेंट

सीबीआई दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टैबलिशमेंट एक्ट के तहत चलती है. सामान्य रूप से इसके क्षेत्राधिकार में केंद्र सरकार के विभाग और उसके अधिकारी व कर्मचारी आते हैं. राज्यों में घोटाला या भ्रष्टाचार या किसी क्राइम के मामले की जांच के लिए राज्य सरकार की सहमति मिलती है तभी सीबीआई जांच करती है. सीबीआई को हर केस के लिए राज्य सरकार से इजाजत ना लेनी पड़े इसके लिए आम तौर पर राज्य सरकारें इसे जेनरल कन्सेंट देकर रखती हैं ताकि इसे काम या जांच करने में दिक्कत ना हो.

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जेनरल कन्सेंट वापस लेने से सीबीआई जांच पर क्या असर

झारखंड सरकार द्वारा जेनरल कन्सेंट वापस लेने से सीबीआई के पास अब राज्य में जांच या नया केस दर्ज करने के अधिकार पर अंकुश लग गया है. सीबीआई को अब हर केस या जांच के लिए राज्य सरकार से इजाजत लेनी होगी. सीबीआई को झारखंड में किसी विभाग, अधिकारी, कर्मचारी या दूसरे लोगों पर केस दर्ज करने के लिए पहले राज्य सरकार की मंजूरी लेनी होगी. झारखंड की सीमा में बिना परमिशन प्रवेश करने पर सीबीआई अधिकारियों का पुलिस पावर सीज हो जाएगा.

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तो क्या सीबीआई अब झारखंड में कोई जांच नहीं कर पाएगी

सीबीआई ने जेनरल कन्सेंट वापसी से पहले तक झारखंड में जो भी केस दर्ज किए हैं, उन सबकी जांच वो कर सकेगी. छापा को लेकर स्थिति बहुत साफ नहीं है लेकिन पुराने मामलों में रेड मारने के लिए कोर्ट से वारंट लिया जा सकता है. दूसरे राज्यों में दर्ज केस के तार झारखंड से जुड़े हों तो उसमें सीबीआई राज्य में जांच कर सकती है. दिल्ली हाईकोर्ट ने 2018 में छत्तीसगढ़ के एक मामले में आदेश दिया था जिसके मुताबिक केस का तार दिल्ली से जुड़ा हो तो सीबीआई दिल्ली में केस दर्ज कर सकती है और फिर उस केस की जांच कहीं भी कर सकती है.

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और किन-किन राज्यों ने सीबीआई से कन्सेंट वापस लिया है

झारखंड से दो दिन पहले केरल और पिछले महीने महाराष्ट्र ने भी ऐसा किया है. इसी साल राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार ने भी सीबीआई को मिली रियायत छीन ली थी. इन तीनों प्रदेशों से पहले छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल सरकार ने भी सीबीआई को दिया गया जेनरल कन्सेंट वापस ले लिया था. कर्नाटक, सिक्किम और नगालैंड ने भी अलग-अलग समय पर सीबीआई को केस-टू-केस जांच या केस दर्ज करने की मंजूरी लेने के लिए मजबूर किया है. ऐसे राज्यों में सरकार बदलने पर वापस लिया गया कन्सेंट फिर से सीबीआई को दे दिया जाता है.

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