इनकम में वृद्धि के साथ लोगों की सेहत भी सुधरेगी मशरूम की फसल

Smart News Team, Last updated: Mon, 4th Jan 2021, 3:21 PM IST
मशरूम की खेती का प्रशिक्षण देकर किसानों की आमदनी में वृद्धि करने के लिए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय आगे निकल कर आया है. विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि मशरूम की खेती से न केवल किसानों की आमदनी बढ़ेगी बल्कि मशरूम का सेवन किसानों सहित आम आदमी सेहत को भी दुरुस्त रखेगा.
इनकम में वृद्धि के साथ लोगों की सेहत भी सुधरेगी मशरूम की फसल

रांची . कोविड-19 के संक्रमण के बाद से बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में सभी प्रकार के तकनीकी प्रशिक्षण पर पाबंदी लगा दी गई थी. अब जबकि कोविड-19 के संक्रमण में कमी आई है तो बिरसा कृषि विश्वविद्यालय ने प्रशिक्षण का दौर एक बार फिर से शुरू कर दिया है. इस क्रम में पिछले दिनों पशुपालन विभाग से संबंधित किसानों को प्रशिक्षण देने के बाद बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने मशरूम की फसल उत्पादन के लिए प्रशिक्षण शुरू करने पर विचार कर रहा है. इस प्रशिक्षण में झारखंड राज्य के अलावा अन्य राज्यों के व्यवसायिक कृषि से जुड़े कृषक भी शामिल होंगे.

बता दें कि राज्य सरकार की ओर से विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत गांवों में मशरूम उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है. राज्य सरकार की इस मंशा को पूरा करने के लिए अब बिरसा कृषि विश्वविद्यालय ने मशरूम उत्पादन हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम शीघ्र शुरू करने का निर्णय लिया है. विश्वविद्यालय का मानना है कि मशरूम न केवल लोगों में पोषण की कमी को पूरा करने में मदद करता है बल्कि इसका उत्पादन किसानों की आय में भी बेहतर वृद्धि कर सकता है. अब तक कृषि विश्वविद्यालय की ओर से मशरूम उत्पादन इकाई में रांची खूंटी सिमडेगा रामगढ़ लातेहार पलामू बोकारो एवं हजारीबाग जिले के अलावा पंजाब प्रांत के होशियारपुर एवं बिहार प्रांत के मुंगेर के करीब 160 किसानों ने मशरूम उत्पादन को लेकर प्रशिक्षण प्राप्त किया है.

यह सभी किसान मौजूदा समय में मशरूम की सफेद बटन प्रजाति जोकि आधे सितंबर से आधे मार्च तक की होती है, की पैदावार तो कर ही रहे हैं साथ ही मई माह से मदर अगस्त तक होने वाली मशरूम की धान पुआल खुंब आदि प्रजातियों को भी योगा कर अच्छा लाभ कमा रही है. इसके अलावा यह किसान अगस्त माह से अप्रैल तक दूधिया मशरूम की खेती करते हैं.मशरूम उत्पादन से जुड़े राजधानी रांची के ठाकुर गांव के किसान जय कुमार बताते हैं कि विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण लेने के बाद उन्होंने आस-पास के गांव के 25 महिला पुरुष किसानों को मशरूम की खेती के लिए जोड़ा वह 10 किसानों का एक समूह बनाकर मशरूम उत्पादन शुरू कर रहे हैं.

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संबंध में विद्यालय के मशरूम उत्पादन इकाई प्रभारी डॉ नरेंद्र कुदादा बताते हैं कि बढ़िया स्वाद पोस्टर गुणों तथा सस्ता प्रोटीन स्रोत होने से मशरूम को ग्रामीण इलाकों में पसंद किया जाने लगा है. यह कम जगह और थोड़े से लागत में पैदा किया जा सकता है. बाजार में इसकी अच्छी कीमत है मशरूम की खेती को बढ़ावा देकर ग्रामीण क्षेत्रों में पोषण एवं आजीविका सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है. उन्होंने बताया कि मशरूम की खेती में बीज का विशेष महत्व है इसे विश्वविद्यालय की ओर से 30 रुपए में तीन सौ ग्राम प्रति पैकेट की दर से खरीदा जा सकता है. इसके प्रशिक्षण के लिए इच्छुक किसान को 10000 का प्रशिक्षण शुल्क देना पड़ेगा यह प्रशिक्षण 3 ओवर सात दिवसीय होता है.उन्होंने बताया कि जल्द ही मशरूम उत्पादन के प्रशिक्षण की तिथि को घोषित कर दिया जाएगा.

 

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