सफला एकादशी पर आज जरूर पढ़ें ये कथा, विष्णु भगवान के आशीर्वाद से सफल होगा व्रत

Pallawi Kumari, Last updated: Thu, 30th Dec 2021, 8:51 AM IST
पूरे साल कुल 24 एकादशी पड़ती है. लेकिन साल के आखिर में सफला एकादशी का महत्व  सबसे अधिक होता है. आज सफला एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा करने से विवाहित स्त्रियों को आशीर्वाद मिलता है. लेकिन व्रत और पूजा के बाद सफला एकादशी की कथा जरूर पढ़ें. इसके बिना व्रत अधूरा होता है.
सफला एकादशी व्रत आज

हर महीने शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में एकादशी पड़ती है. इस तरह से हर महीने दो और पूरे साल में कुल 24 एकादशी होती है. पौष माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है. सभी एकादशी में सफला एकादशी का खास महत्व होता है. सफला एकादशी के बारे में कहा जाता है कि इस एकादशी का व्रत हजारों साल तक तपस्या करने से मिलने वाले पुण्य के समान होता है. आज गुरुवार 30 दिसंबर को सफला एकादशी का व्रत रखा जाएगा. यह साल की आखिरी एकादशी भी है. 

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार गुरुवार के दिन पड़ने के कारण इस व्रत का महत्व और बढ़ जाता है.सफला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है. व्रत और पूजा के दौरान सफला एकादशी की व्रत कथा जरूर पढ़ें या सुने. क्योंकि इसके बिना आपका व्रत पूजा नहीं माना जाता. आइये बताते हैं किया है सफला एकादशी की व्रथ कथा के बारे में.

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सफला एकादशी व्रत कथा

पद्म पुराण में सफला एकादशी की जो कथा मिलती है उसके अनुसार, महिष्मान नाम का एक राजा था. राजा का बड़ा बेटा लुम्पक पाप कर्मों में लिप्त रहता था. इससे नाराज होकर राजा ने अपने बेटे को राजापाट और महल से बाहर निकाल दिया. फिर लुम्पक जंगल में रहने लगा. पौष कृष्ण दशमी की रात में ठंड के कारण वह सो न सका.

सुबह होते होते ठंड से लुम्पक बेहोश हो गया. आधा दिन गुजर जाने के बाद जब बेहोशी दूर हुई तब जंगल से फल इकट्ठा करने लगा. शाम में सूर्यास्त के बाद यह अपनी किस्मत को कोसते हुए भगवान को याद करने लगा. एकादशी की रात भी वह अपने दुःखों के बारे में सोचते हुए सो न सका.

इस तरह अनजाने में ही लुम्पक से सफला एकादशी का व्रत पूरा हो गया. इस व्रत के प्रभाव से लुम्पक सुधर गया और पिता महिष्मा ने अपना सारा राज्य लुम्पक को सौंप दिया और खुद तपस्या के लिए चले गये. काफी समय तक धर्म पूर्वक शासन करने के बाद लुम्पक भी तपस्या करने चला गया और मृत्यु के पश्चात इसे विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ.

पद्म पुराण में सफला एकादशी की एक ही कथा के बारें में लिखा है. इसके अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया है कि सफला एकादशी व्रत के देवता श्री नारायण हैं. जो व्यक्ति सफला एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करता है और रात्रि में जागरण करता है ईश्वर का ध्यान और श्री हरि के अवतार एवं उनकी लीला कथाओं का पाठ करता है उनका व्रत सफल होता है. 

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