Chhath Puja 2021: छठ व्रत में क्यों जरूरी है बांस का सूप और दौरा, पूजा में क्या है इसका महत्व
- महापर्व छठ पूजा में बांस से बनी चीजों को शुभ माना जाता है. यही कारण है कि आधुनिक युग में भी इसकी विशेषता कम नहीं हुई और छठ पूजा में बांस से बना सूप और दौरा जरूरी माना जाता है. इसके बिना पूजा अधूरी होती है. सूप में फल और प्रसाद सजाकर सूर्य देव को अर्घ्य दी जाती है.
चार दिनों तक चलने वाले छठ व्रत की शुरुआत सोमवार 4 नवंबर से हो रही है. छठ पूजा खासकर बिहार, झारखंड और पूर्वांचल में मनाया जाता है. लेकिन अब छठ पूजा अन्य त्योहारों की तरह काफी प्रचलित हो गई है और देशभर में इसे मनाया जाने लगा है. देशभर में लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की रौनक देखने को मिल रही है. घर से लेकर बाजार तक छठ पूजा की तैयारियों से सजे हुए हैं. बाजारों में छठ को लेकर काफी भीड़ भाड़ है. वैसे तो छठ पूजा में कई चीजों की खरीदारी की जाती है. लेकिन बांस से बना सूप और दौरा का छठ पर्व में खास महत्व होता है. इसके बिना पूजा नहीं हो पाती.
छठ पूजा में बांस से बने सूप और दौरा का बहुत महत्व होता है. ये छठ पूजा में सबसे जरूरी चीज मानी जाती है. भगवान सूर्य को अर्घ्य देने में सूप डाला का उपयोग किया जाता है. वैसे तो आजकल पीतल से बने सूप भी प्रयोग में शुरू हो गए हैं लेकिन फिर भी छठ में बांस के सूप की डिमांड इस दौरान बढ़ जाती है. सूप में फल व प्रसाद को सजाकर घाट ले जाया जाता है और इसी से सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है. घर के लोग ही सूप या दौरा को सिर पर उठाकर खाली पैर नदी,तालाब या घाट तक ले जाते हैं. सूप या दौरान उठाने वाले व्यक्ति को भी व्रत नहाधोकर स्वस्छ होना जरूरी होता है.
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सूप या दौरा में रखी जाने वाली सामग्री-सूप और दौरा को पहले धोकर सुखा लें. इसमें ठेकुआ प्रसाद रखें. इसमें नारियल, पत्ता लगा हुआ गन्ना, शकरकंद, बड़ा नीबू, लाल और पीला सिन्दूर, चावल, कच्ची हल्दी, सिंघाड़ा आदि रखें. सूप के दोनों छोर पर एक एक दीपक और अगरबत्ती भी भी लगाएं. इसके बाद सूप को लाल या पीले कपड़े से अच्छे से बांधकर नदी घाट पर ले जाएं. ध्यान रखें अगरबत्ती या दीपक से बचाकर कपड़े को बांधे.
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