रांची : तुरी भाषा का संरक्षण करेगा डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय

Smart News Team, Last updated: Mon, 15th Feb 2021, 1:42 PM IST
  • असुर भाषा के बाद अब डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय ने तुरी भाषा के संरक्षण और संवर्धन पर कार्य करने का निर्णय लिया है. इसके लिए विश्वविद्यालय की ओर से एक डॉक्यूमेंटेशन सेंटर की स्थापना भी करने का निर्णय लिया गया है.
तुरी भाषा का संरक्षण करेगा डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय

रांची : जब से झारखंड राज्य में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय की स्थापना हुई है तब से विश्वविद्यालय प्रशासन लुप्त प्राय भाषाओं को संरक्षित और संवर्धित करने में अपना शत प्रतिशत योगदान दे रहा है. पिछले दिनों विश्वविद्यालय की ओर से विश्व पटल से लगभग लुप्त हो चुकी असुर भाषा का संरक्षण किया गया था. अब इस क्रम को आगे बढ़ाते हुए विश्वविद्यालय ने ऐसी ही एक लुप्त प्राय तुरी भाषा को संरक्षित एवं संवर्धन करने का निर्णय लिया है. तुरी भाषा झारखंड के कुछ क्षेत्रों में अभी भी प्रयोग की जाती है. 

वर्तमान में इस भाषा को बोलचाल में तकरीबन 500 से 600 के बीच के लोग प्रयोग कर रहे हैं. इस भाषा के व्यवहारिक जीवन में बोलने वाले लोग मुख्तयार झारखंड और छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं. तुरी भाषा को संरक्षित और संवर्धित करने के लिए विश्वविद्यालय की ओर से एक डॉक्यूमेंटेशन सेंटर की स्थापना करने का भी निर्णय लिया गया है. इस सेंटर में तुरी भाषा से संबंधित विजुअल और ऑडियो तैयार कराए जाएंगे. झारखंड राज्य की राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू इस सेंटर का शुभारंभ करेंगी. इस सेंटर का काम लुप्तप्राय भाषा और संस्कृति का संवर्धन और संरक्षण करना होगा.

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इसके अलावा इस भाषा के प्रकाशन में भी सहयोग करना होगा. तुरी भाषा को संरक्षित और संवर्धित करने के लिए विश्वविद्यालय की टीम झारखंड व छत्तीसगढ़ के क्षेत्रों में जाकर डेट आज उठाएगी. इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय लुप्त प्राय देशज भाषा एवं संस्कृति प्रलेखन केंद्र के निदेशक डॉ अभय सागर मिज़ ने बताया कि वर्तमान में तुरी भाषा पर संवर्धन और संरक्षण की दिशा में काम किया जा रहा है.भविष्य में अन्य लुप्तप्राय भाषाओं पर भी काम किया जाएगा. 

बता दें कि लंदन विश्वविद्यालय ने अपनी वेबसाइट पर असुर भाषा को जगह दी है.यह डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. लंदन यूनिवर्सिटी की विशेष शाखा एंडेंजर्ड लैंग्वेज डॉक्यूमेंटेशन प्रोग्राम पूरे विश्व में जाकर ऐसे भाषाओं पर कार्य करती है जो लुप्त प्राय हो रही है.

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