रांची: डोंबारी बुरू की पुनरावृति था जलियांवाला बाग कांड
- जलियांवाला बाग कांड की स्मृति होने पर आज भी झारखंड के खूंटी जिले के डोंबारी बरू के लोग सिहर उठते हैं. गणतंत्र दिवस की वर्षगांठ करीब आए तो एक बार फिर डोंबारि बूरु के लोगों की अपने पुरखों के खोने की यादें ताजा हो गई.
रांची. बता दें कि आजादी के आंदोलन में पंजाब प्रांत के जलियांवाला बाग कांड की घटना से 20 वर्ष पहले झारखंड के खूंटी जिले के डोंबारी बूरू मैं भी जलियांवाला बाग कांड की घटना हुई थी. आज से ठीक 122 साल पहले 9 जनवरी 1899 को अंग्रेजों ने डोंबारी बुरु के सैकड़ों आदिवासियों को उस समय गोलियों से भून दिया था वह भगवान बिरसा मुंडा में देश को आजाद कराने के लिए एक सभा कर रहे थे. उस सभा में आसपास के दर्जनों गांव के क्रांतिकारी विचारधारा वाले आदिवासी युवा शामिल थे.
सभा में बुजुर्ग महिलाएं व बच्चे भी थी. इस सभा की खबर अंग्रेजी सैनिकों को हुई तो वे सभा स्थल पर आ धमके और सभा में शामिल क्रांतिकारियों को घेरकर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी. इन क्रांतिकारियों ने भी अपने पारंपरिक हथियारों के दम पर अंग्रेजों का सामना किया किंतु उनकी गोलियों के आगे उनके हथियार बेदम साबित हुए साथ ही सैकड़ों आदिवासी क्रांतिकारी शहीद भी हुए. हालांकि बिरसा मुंडा अंग्रेजों को चकमा देने में कामयाब रहा.
आज भी इस सभा स्थल के समीप शिलालेख में मरने वालों के नाम अंकित है. स्थानीय लोग बताते हैं कि उस संघर्ष में सैकड़ों लोग मारे गए थे. बताते हैं कि इस घटना के बाद से हर साल यहां 9 जनवरी को मारे गए क्रांतिकारियों की याद में शहादत दिवस मनाया जाता है.
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