रासायनिक खादों के प्रयोग से कमजोर हुई झारखंड के मिट्टी की उर्वरक क्षमता
- अधिक उपज के लालच में अधिक रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग झारखंड की मिट्टी उपजाऊपन कमजोर बना रहा है. हाल ही में किए गए सर्वे के अनुसार राज्य की मिट्टी में 3575 माइक्रो न्यूट्रेंएट की कमी पाई गई है. इतना ही नहीं रासायनिक तत्वों की अधिकता के चलते लिखी हुई बंजर होने के कगार पर है.
_1607196159400_1607196173102.jpg)
रांची . हम लोग हर साल 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाते चले आ रहे हैं. गोष्ठियों और कागजों में बड़ी-बड़ी बातें देखने और सुनने को मिलती है. किंतु अब तक के हुए शोध से यह केवल औपचारिकता ही महसूस हो रही है. झारखंड राज्य में का कटाव बड़ी समस्या अपने फायदे के लिए 70 फ़ीसदी जंगल विलुप्त हो चुके हैं.
आज की आवश्यकता मृदा प्रबंधन पर है. अत्यधिक रासायनिक खादों के प्रयोग से कैंसर जैसे घातक रोग निकल कर सामने आ रहे हैं जिससे आम लोगों की जाने जा रही हैं. किसानों में मिट्टी स्वास्थ्य प्रबंधन संबंधी जानकारियों का अभाव है. मिट्टी का स्वास्थ्य बरकरार रखने के लिए समय-समय पर जांच के साथ ही जैविक खादों का प्रयोग को जीवन में डालना पड़ेगा. साथ ही हमारे किसानों को फसल चक्र को अपनाना पड़ेगा. संतुलित मात्रा में ही जरूरत के समय रासायनिक खादों का प्रयोग किया जाए. खेत की मिट्टी के कटाव को बचाने के लिए मेड़बंदी की भी जरूरत है.
रांची में नए साल को लेकर पुलिस ने की सुरक्षा व्यवस्था की तैयारी
बिरसा कृषि विद्यालय के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह बताते हैं कि राज्य के 18 जिलों में किए गए शोध में मिट्टी की हालत काफी खराब पाई गई है. कहते हैं कि मिट्टी ही जीवन का आधार और अंतिम पड़ाव है इसको अपनाकर ही हम सच्चे मायनों में विश्व मृदा दिवस को साकार रूप में ला सकेंगे.
अन्य खबरें
रांची: लोगों की परेशानी बना गड्ढों में तब्दील रांची-गुमला राष्ट्रीय राजमार्ग-43
रांची सर्राफा बाजार में सोना चांदी के दामों में आई भारी गिरावट, आज का मंडी भाव