रांची या दिल्ली में आयोजित होगा धर्म कोड को लेकर राष्ट्रीय स्तर का सेमिनार
- पूरे भारत के आदिवासी धार्मिक मान्यता के अनुसार सरना धर्म को स्वीकार करने के लिए एक सेमिनार रांची या दिल्ली में आयोजित किया जाएगा. बहुत जल्द सेमिनार की तिथि और जगह भी तय की जाएगी. सभा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. प्रवीण उरांव ने भुसूर सरना स्थल में आयोजित एक बैठक के जानकारी दी.
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रांची. धर्म कोड को लेकर राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा का शिष्टमंडल जल्द ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलेगा. जिसमें झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर सरना धर्म कोड बिल पास कर केंद्र सरकार को भेजने की मांग उठाई जाएगी. पूरे भारत के आदिवासी धार्मिक मान्यता के अनुसार सरना धर्म को स्वीकार करने के लिए एक सेमिनार रांची या दिल्ली में जल्द आयोजित किया जाएगा. आज सभा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. प्रवीण उरांव ने भुसूर सरना स्थल में आयोजित बैठक में जानकारी दी.
प्रो. प्रवीण उरांव ने कहा कि भारत के सभी आदिवासी सांसद, आदिवासी विधायक से अनुरोध है कि सभी लोग मुखर होकर सरना धर्मकोड का प्रस्ताव अपने-अपने राज्य के विधानसभा से केंद्र सरकार को भिजवाने का प्रयास करे. देश के सभी सांसद से अनुरोध है कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से मिलकर सरना धर्म कोड को 2021 के जनगणना प्रपत्र में जुड़वाने का कार्य करें.
बैठक की अध्यक्षता समाजसेवी चितरंजन उरांव ने की. बैठक में अध्यक्ष चंद्रदेव बलमुचू, सुलोचना खलखो, अजीत उरांव, धर्मअगुवा अमित गाड़ी, बिरसा कच्छप, सुभानी तिग्गा, शशि गाड़ी, राजकुमारी उरांव, रेशमी मिंज, बिमला टोप्पो, सुषमा टोप्पो, सुष्मिता कच्छप, शांता कच्छप, सुचिता बाड़ा, पूजा केरकेट्टा आदि उपस्थित थे.
आपकों बता दे कि धर्म कोड को लेकर लंबे सालों से झारखंड सहित पूरे देश में संघर्ष किया जा रहा है. धर्म कोड को जनगणना फोरम में शामिल करने या ना करने का अधिकार भारत सरकार की अनुशंसा पर रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया करती है. आदिवासी संगठनों का कहना है कि अपना धर्म कोड नहीं होने के कारण 10 वर्ष में जब जनगणना होती है तो प्रकृति आदिवासियों की गणना या तो ईसाई धर्म में कर दी जा रही है या हिंदू में या अन्य में. इससे आदिवासियों की संख्या हर 10 साल में बढ़ने की बजाय घटती जा रही है.
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