रांची विश्वविद्यालय के अतिथि शिक्षकों को 21 महीने से मानदेय का भुगतान नहीं
- रांची विश्वविद्यालय में कोरोना के चलते आनलाइन कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है, इस बीच अतिथि शिक्षकों के सामने डाटा खर्च कर कक्षाएं लेने की समस्या भी खड़ी हो गई है क्योंकि 21 महीनों से उन्हें विश्वविद्यालय की ओर से मानदेय नहीं दिया गया है.
रांची. रांची विश्वविद्यालय के अतिथि शिक्षक 21 माह से अपने मानदेय से वंचित है. जिस कारण उन्हें दो वक्त की रोटी जुटा पाना भी मुश्किल हो रहा है. रांची विश्वविद्यालय की ओर से उन्हें करीब 21 महीने का मानदेय नहीं दिया गया है. अब अतिथि शिक्षकों ने वाइस चांसलर से मांग की है कि दीपावली से पहले उन्हें मानदेय का भुगतान किया जाए. इन शिक्षकों का कहना है कि कोरोना के चलते अब कक्षाएं लग नहीं रही हैं और प्रति पीरियड भुगतान समस्या बन गया है. आनलाइन कक्षाओं के माध्यम से इंटरनेट का डाटा भी उनकी समस्या बन गई है. मानदेय ना मिलने के कारण उनके लिए डाटा का भी इंतजाम नहीं कर पा रहे हैं.
अपनी समस्याओं को लेकर सोमवार को अतिथि शिक्षक संघ का एक प्रतिनिधिमंडल कुलपति से मिला. प्रतिनिधिमंडल में अध्यक्ष अरविद प्रसाद के अलावा प्रवक्ता स्मिता कुमारी, मीडिया प्रभारी रंजू कुमारी, सच्चिदानंद यादव, श्यामानंद पांडेय, नीमा कुमारी आदि शामिल थे.
संघ के अध्यक्ष अरविद प्रसाद ने बताया कि इससे पहले भी कई बार वीसी से बात की गई, लेकिन समाधान नहीं निकला.उच्च तकनीकी एवं कौशल विकास विभाग द्वारा कई बार निर्धारित फॉर्मेट पर यूटिलाइजेशन डिमांड विश्वविद्यालय से मांगा गया. लेकिन विवि यह डिमांड नहीं भेज पा रहा है. उन्होंने कहा कि अब उनके सामने भुखमरी की समस्या पैदा हो गई है क्योंकि कोरोना के चलते कामकाज पूरी तरह ठप हो चुका है और आर्थिक हालत कमजोर होती जा रही है और दूसरी तरफ आनलाइन कक्षाओं के चलते डाटा पर भी उन्हें अतिरिक्त खर्च करना पड़ा है और 21 माह से मानदेय से वंचित होने के कारण उनके हालात बहुत खराब हो गए हैं. इसी को लेकर आज प्रतिनिधिमंडल ने वीसी से मिलकर उन्हें अपनी समस्याएं बताईं.
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