23 नवंबर को संकष्टी चतुर्थी व्रत, पूजा से पहले नोट कर लें विधि और नियम
- हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है. कल यानी 23 नवंबर को संकष्टी चतुर्थी की पूजा की जाएगी. आइये जानते हैं पूजा और व्रत से जुड़ी नियम व विधियां.

हिंदू धर्म में पूजा पाठ और व्रत का खास महत्व होता है. वहीं गणेश पूजा की बात करें तो विग्घ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा हर शुभ और मागंलिक कार्यों में सबसे पहले किया जाता है. हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथी को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि इस दिन व्रत और पूजन करने से श्री गणेश प्रसन्न होते है और अपनी कृपादृष्टि भक्त पर बनाए रखते हैं और उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती है. आइये जानते हैं संकष्टी चतुर्थी की पूजा और व्रत से सारे नियम.
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि-
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. फिर गणेश जी को जल चढ़ाकर उनकी पूजा करें. इस दिन व्रत रखें. पूजा के बाद चावल, गेहूं और दाल का सेवन न करें. शाम के समय दूर्वा घास, फूल, अगरबत्ती और दीया से भगवान गणेश की पूजा करें फिर गणेश मंत्र का जाप करें. भगवान को मोदक और लड्डू का भोग लगाए. भगवान को मोदक और लड्डू काफी प्रिय है. चंदमा निकलने से पहले गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ किया जाता है और चंद्रोदय के बाद व्रत खोलें. इस दिन चंद्रमा को देखना बहुत ही शुभ होता है. इसलिए जब चंद्रमा दिखाई दे तो उसेअर्घ्य दें.
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संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त
मार्गशीर्ष मास कृष्ण पक्ष चतुर्थी आरंभ- 22 नवंबर 2021 (सोमवार) रात 10 बजकर 26 मिनट से
मार्गशीर्ष मास कृष्ण पक्ष चतुर्थी समापन- 24 नवंबर 2021 (बुधवार) रात 12 बजकर 55 मिनट तक
चंद्रोदय का समय- 23 नवंबर (मंगलवार) रात 8 बजकर 27 मिनट पर
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