'सर्वधर्म सद्भावना' केंद्र रांची के ‘जगन्नाथ मंदिर’ का इतिहास 329 साल पुराना है
- रांची के इस जगन्नाथ मंदिर में सभी धर्मों के लोग मिल-जुलकर रथयात्रा का आयोजन करते थे. यहां घंसी जाति के लोग मंदिर के लिए फूल मुहैया कराते थे.
रांची के जगन्नाथ मंदिर को पुरी मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है. यह मंदिर अलबर्ट एक्का चौक से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. प्रकृति का गोद में समाया यह मंदिर आध्यात्म और भक्ति का महत्वपूर्ण केंद्र है. इस मंदिर का इतिहास करीब 329 साल पुराना है. इस मंदिर को आध्यात्म के केंद्र के साथ-साथ सर्व धर्म सद्भाव का केंद्र भी माना जाता है. जगन्नाथ मंदिर का निर्माण नागवंशी राजा ठाकुर एनी नाथ शाहदेव ने साल 1691 में करवाया था.
नौजवान मुस्लिम युवक करते थे मंदिर की पहरेदारी: रांची के इस जगन्नाथ मंदिर में सभी धर्मों के लोग मिल-जुलकर रथयात्रा का आयोजन करते थे. जहां घंसी जाति के लोग मंदिर के लिए फूल मुहैया कराते थे. वहीं उरांव जाति के लोग मंदिर को घंटी प्रदान करते थे. जगन्नाथ मंदिर की पहरेदारी मुस्लिम किया करते थे. राजवर जाति द्वारा रथ को सजाया जाता था.
जगन्नाथ पुरी की तरह ही रांची के इस मंदिर में भी निकलती हैं रथ यात्रा: खास बात तो यह है कि जगन्नाथ पुरी की तरह ही यहां पर भी भव्य रथ यात्रा निकलती है. इस रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ नौ दिन के लिए मौसी के घर जाते हैं. मौसी गुडिचा देवी के घर नौ दिन रहने के बाद प्रभु वापस अपने धाम लौट आते हैं. बता दें, जगन्नाथ मंदिर के समीप ही गुडिचा देवी का मंदिर बनवाया गया है.
यह है धार्मिक कथा: धार्मिक कथाओं के अनुसार कृष्णावतार में भगवान विष्णु से एक बार सुभद्रा कहती है, भैया आपकी पूजा तो हर कोई करेगा. मैं और भैया बलराम आपके भाई-बहन हैं और हमारी भी पूजा होनी चाहिए. बहन की विनती सुनकर भगवान आशीर्वाद देते हैं कि कलयुग में जगन्नाथ रूप में मेरे साथ भैया बलराम और तुम्हारी भी पूजा होगी.
दिल्ली से रांची: दिल्ली से रांची की दूरी करीब 1,283.5 किलोमीटर है. आप बस, ट्रेन या फिर फ्लाइट से रांची तक का सफर तय कर सकते हैं. बस के रास्ते दिल्ली से रांची पहुंचने में केवल 21 घंटे 57 मिनट का समय लगता है. वहीं अगर आप ट्रेन से सफर करना चाहते हैं तो इसमें केवल 17.30 घंटे का समय लगेगा. फ्लाइट से केवल 1.40 घंटे में आप दिल्ली से रांची पहुंच सकते हैं.
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