इस दिन है सावन का दूसरा प्रदोष व्रत, बनने वाले हैं ये दो शुभ संयोग, जानें महत्व

Smart News Team, Last updated: Mon, 16th Aug 2021, 12:02 PM IST
  • 20 अगस्त को सावन का दूसरा प्रदोष व्रत पड़ रहा है. सावन के महीने की शुरुआत 25 जुलाई से हुई थी, और 22 अगस्त को खत्म होने जा रहा है. ये व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है.
सावन प्रदोष व्रत

भगवान शिव को प्रदोष व्रत समर्पित रहता है. धार्मल मान्यताओं पर गौर करें तो भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा विधि-विधान से अगर प्रदोष व्रत के दिन की जाए तो सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. इतना ही नहीं बल्कि इस व्रत को रखने से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. एक महीने में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है एक शुक्ल पक्ष को और दूसरा कृष्ण पक्ष को. ऐसे अगर देखा जाए तो एक साल में 24 प्रदोष व्रत रखा जाता है. सावन के महीने में कुल दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं. सावन के महीने की शुरूआत 25 जुलाई से हुई और 22 अगस्त को ये महीना खत्म होगा.

 इस महीने में एक प्रदोष व्रत 5 अगस्त को पड़ा था और दूसरा प्रदोष व्रत 20 अगस्त को पड़ने वाला है. 20 अगस्त का दिन शुक्रवार पड़ रहा है. त्रयोदशी तिथि 20 अगस्त को रात 8 बजकर 50 मिनट तक रहने वाली है. चतुर्दशी इसके बाद लगने वाली है. आयुष्मान और सौभाग्य योग का शुभ संयोग सावन 2021 के दूसरे प्रदोष व्रत के दिन बन रहा है. 20 अगस्त दोपहर 3 बजकर 32 मिनट तक आयुष्मान योग रहने वाला है.सौभाग्य योग इसके बाद लगने वाला है.

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आयुष्मान और सौभाग्य योग का ज्योतिष शास्त में ये है महत्व

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में ऐसी मान्यता है कि आयुष्मान और सौभाग्य योग में जो भी कार्य होता है उसमें सफलता जरूर मिलती है.

प्रदोष काल में ये है पूजा का महत्व

प्रदोष काल में अगर प्रदोष व्रत की पूजा की जाए तो उसका बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट से पहले प्रदोष काल शुरू होता है. ऐसी मान्यता है कि प्रदोष काल में अगर भगवान शिव की पूजा हो तो शुभदायक फल मिलता है.

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