मां दुर्गा की पूजा के लिए नवरात्रि में क्यों करते हैं कलश स्थापना, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
- हिंदी पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 7 अक्टूबर गुरुवार से हो रही है, जो पूरे 9 दिनों तक यानी 15 अक्टूबर शुक्रवार तक है. नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना के साथ होती है. ऐसे में आइये जानते हैं कि नवरात्रि में कलश स्थापना क्यों की जाती है और इसका क्या महत्व है.
हिंदी पंचाग के अनुसार वैसे तो साल में 4 बार नवरात्रि आती है.लेकिन मुख्य रूप में दो नवरात्रि चैत्र और शारदीय ज्यादा प्रचलित होती है. चैत्र मास में पड़ने वाले नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि कहते हैं और अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पड़ने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है. दोनों ही नवरात्र में नौ दिनों तक मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है. नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना के साथ होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि नवरात्रि में कलश स्थापना क्यों किया जाता है.
नवरात्रि में पूजा की शुरुआत करने और व्रत रखने के साथ ही सबसे पहले कलश स्थापना की जाती है. इसे घटस्थापना भी कहा जाता है. कलश स्थापना के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. मान्यता है कि नवरात्रि का पहला दिन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है. प्रतिपदा तिथि यानी नवरात्रि के पहले दिन ही कलश स्थापना की जाती है. कलश को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है. इसलिए नवरात्रि पूजा से पहले घट स्थापना या कलश की स्थापना करने का विधान है.
जानिए कब से शुरू हो रहे हैं शारदीय नवरात्र 2021, कलश स्थापना मुहूर्त और पूजा विधि
कलश स्थापना करने के लिए यहां देखें कलश स्थापना से जुड़ी पूजा सामग्री, शुभ मुहूर्त विधि, नियम और कलश स्थापना करना का तरीका
कलश स्थापना के लिए सामग्री- कलश स्थापना करने के लिए आपको कुछ जरूरी चीजों की आवश्यकता होती है, जैसे मिट्टी का बर्तन (कलश), – पवित्र स्थान से लायी गयी मिट्टी, कलश में भरने के लिए गंगाजल, आम के पत्ते. सुपारी, जटा वाला नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र (शालू कपड़ा) और फूल-धूप.
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त- कलश स्थापना को शुभ मुहूर्त में करना बेहद जरूरी होता है. किसी भी पूजा-पाठ को शुभ मुहूर्त पर करने से ही उसका फल मिलता है. इस बार शारदीय नवरात्रि में कलश सथापना के लिए मुहूर्त 7 अक्टूबर गुरुवार को 1 घंटे 27 मिनट के लिए है, जो सुबह 06:12 बजे से 07:40 बजे तक होगा. कलश स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त को सबसे उत्तम माना गया है
कलश स्थापना का महत्व- शास्त्रों में कलश को विश्व ब्रह्मांड का, विराट ब्रह्म का, भू-पिंड (ग्लोब) का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि संपूर्ण देवता कलशरूपी पिंड या ब्रह्मांड में एकसाथ समाहित हैं. पूजा में कलश इस बात का सूचक होता है कि एक माध्यम में, एक ही केंद्र में समस्त देवताओं को देखने के लिए कलश की स्थापना की जाती है.
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