वाराणसी : 14800 लोगों की काशी के मुक्ति भवन से निकली मोक्ष की राह
- काशी के इस मुक्ति भवन का साल 1908 में निर्माण कराया गया था. मोक्ष प्राप्त करने के लिए यहां आने वाली दिव्य आत्माओं का रिकॉर्ड जहां रजिस्टर में दर्ज है. 1956 से लगातार रजिस्टर में जहां आकर मोक्ष प्राप्त करने वाली दिव्य आत्माओं का रिकॉर्ड दर्ज किया जा रहा है.
वाराणसी. देवाधि देव महादेव की बसाई गई काशी नगरी को हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले इसे मोक्ष की नगरी के रूप में भी मानते हैं. जीवन के अंतिम समय में सदियों से आस्थावान लोग मोक्ष प्राप्त करने के लिए काशी की शरण लेते आ रहे हैं. ऐसे लोगों के लिए काशी में मुक्ति भवन बना हुआ है. आंकड़ों पर गौर करें तो अब तक 14800 दिव्य आत्माएं यहां से मोक्ष प्राप्त कर परलोक गमन कर चुकी है. काशी के इस मुक्ति भवन का साल 1908 में निर्माण कराया गया था. यहां मोक्ष प्राप्त करने के लिए आने वाले दिव्य आत्माओं का जो अब इस दुनिया में नहीं है, का साल 1956 से लगातार रिकॉर्ड रजिस्टर बनाया जा रहा है. इस रजिस्टर में मुक्ति भवन में मोक्ष की चाह लेकर आई दिव्य आत्माओं का बहीखाता लिखा जाता है. मसलन नाम पता आदि. मुक्ति भवन के बही खाते रजिस्टर पर गौर करें तो अब तक यहां मोक्ष प्राप्त करने के लिए आए तकरीबन 14800 लोगों के नाम दर्ज हैं जो जीवन के अंतिम समय तक बाबा विश्वनाथ का नाम लेकर मोक्ष प्राप्त कर चुके हैं. इनमें ज्यादातर ऐसे लोगों के नाम हैं जो मुक्ति भवन में आने के कुछ ही दिनों के बाद इस दुनिया में नहीं रहे.
बता दें कि उत्तर प्रदेश बिहार मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ शहद हिंदी भाषी राज्यों के अलावा दक्षिण भारत में काशी करवट की प्राचीन परंपरा की मान्यता है. इसका तात्पर्य है कि जो व्यक्ति अपने जीवन के अंतिम क्षणों के नजदीक होता है, ऐसे व्यक्ति को गांव के बुजुर्ग बनारस लेकर आते हैं. ताकि वह देवाधि देव महादेव की इस पावन भूमि पर अपना शरीर का त्याग कर मोक्ष की ओर प्रस्थान करे. काशी के मुक्ति भवन में 10 कमरे हैं. इसके अलावा यहां एक छोटा सा मंदिर भी है. मोक्ष की कामना से आने वालों के लिए यहां यह शर्त होती है कि उनके साथ सेवा भाव के लिए उनके परिजन भी जरूर रहे. जिस दिव्य आत्मा को मोक्ष की कामना हो, वह यहां पर 15 दिनों तक रुक सकता है. मोक्ष भवन के व्यवस्थापक अनुराग हरीश शुक्ला बताते हैं कि इस भवन में जो भी आता है उसकी मनोकामना बाबा विश्वनाथ अवश्य पूरी करते हैं. वह व्यक्ति कुछ ही दिनों के अंदर पंचतत्व में विलीन होकर मोक्ष की प्राप्ति करता है.
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उन्होंने बताया कि मोच भवन में 15 दिनों के लिए ही कक्ष उपलब्ध कराया जाता है. बताया कि मोच के लिए आने वाले व्यक्ति के साथ दो से लेकर 5 व्यक्ति ही सेवा के लिए कमरे में ठहर सकते हैं. खाने पीने की व्यवस्था उन्हें स्वयं करनी पड़ती है. इस दौरान उन्हें मोक्षार्थी खूब सुनाया जाता है. मोक्षर्थी को रोजाना दोपहर 12:00 बजे से लेकर शाम 5:00 बजे तक भागवत बार रामायण का पाठ सुनाया जाता है. साथ ही तीन वक्त की आरती के बाद गंगाजल का भी पान कराया जाता है.
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