बनारस के प्रगतिशील किसान द्वारा विकसित गेहूं का बीज बना किसानों के लिए वरदान

Smart News Team, Last updated: Fri, 9th Oct 2020, 8:34 PM IST
  • यह बीज 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और इसकी पैदावार 25-30 कुंतल प्रति एकड़ बताई जाती है. इसकी पैदावार और गुणवत्ता को देखते हुए कई राज्यों में इसकी मांग बढ़ी है.
बनारस के तड़िया गाँव के प्रगतिशील किसान प्रकाश सिंह रघुवंशी ने गेहूं की नवीनतम किस्म कुदरत-9 का बीज विकसीत किया है।

बनारस. जाड़े की आमद ने दस्तक दे दी है. जिसका खेती किसानी में साफ मतलब है कि रवि की फसल आने वाली है. धान कटते ही नवंबर माह से ही प्रमुख अन्न फसल गेहूं की बुवाई शुरु हो जाएगी और गेहूं के बीज की डिमांड भी बढ़ जाएगी. इस बीच बनारस के तड़िया गाँव के प्रगतिशील किसान प्रकाश सिंह रघुवंशी द्वारा विकसित किया गया गेहूं की नवीनतम किस्म कुदरत-9 का बीज अच्छी उपज लेने का बेहतर विकल्प बनकर सामने आया है.

आँधी पानी में भी तनकर खड़े रहने वाला इस किस्म का पौधा उपज के मामलों में भी अन्य से बेहतर ही साबित हुआ है. वाराणसी के किसान द्वारा विकसित यह बीज अब कई राज्यों में अपनी धूम मचा रहा है.

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कुदरत-9 नाम से गेहूं की किस्म की लम्बाई लगभग 90 सेंटीमीटर और इसकी बाल की लम्बाई लगभग 20 सेंटीमीटर है. गेहूं के इस किस्म को वाराणसी जिले के कुदरत कृषि शोध संस्थान के प्रकाश रघुवंशी ने विकसित किया है. तो वहीं, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर में इसका ट्रायल हुआ था. बेहतर परिणाम होने के कारण इसे भारत सरकार की ओर से रजिस्टर्ड कर रघुवंशी नाम दिया गया है.

यह बीज 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और इसकी पैदावार 25-30 कुंतल प्रति एकड़ बताई जाती है. इसकी पैदावार और गुणवत्ता को देखते हुए कई राज्यों में इसकी मांग बढ़ी है. किसान इसकी बुवाई 25 अक्टूबर से 25 दिसंबर तक कर सकते हैं. बीज बुआई में 40 किलोग्राम प्रति एकड़ बीज लगेगा. यह 2-3 पानी में पक जाएगी. इसके अलावा गेहूं की अन्य क़िस्मों की तुलना में इसका पौधा छोटा होता है. जिसके कारण तेज हवाओं में भी नहीं गिरेगा. गेहूं की यह किस्म ओलावृष्टि जैसी समस्याओं को भी आसानी से झेल सकती है. इसकी बुवाई सभी प्रकार की मिट्टी में आसानी से की जा सकती है पर यह दोमट मिट्टी में और बेहतर साबित हुआ है. किसान प्रकाश रघुवंशी बताते हैं कि उन्हें कुदरत-9 प्रजाति से 40 फीसदी तक अधिक उत्पादन मिला है.वे अन्य किसानों को भी बीज उत्पादन के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

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