शोध में हुई पुष्टि, डायबिटीज रोगी को नुकसान नहीं पहुंचाएगा प्राकृतिक शहदका सेवन
बीएचयू की रिसर्च टीम . बता दें कि भारतीय आयुर्वेद चिकित्सा में विभिन्न रोगों के निदान के लिए सदियों से शहद का प्रयोग होता चला आ रहा है. लेकिन बीएचयू के आयुर्वेदिक संकाय में रस शास्त्र एवं वैश्य कल्पना विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर रोहित शर्मा व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर आनंद कुमार चौधरी की टीम ने मधुमेह रोग और शहद की उपयोगिता पर दुनिया भर में किए गए शोधों की रिपोर्टों पर समीक्षा कर संकलित आकलन पर शोध किया. इसमें पाया गया कि मधुमेह रोगी प्राकृतिक शहर का उचित मात्रा में उपयोग कर सकते हैं. जिससे उनको किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा बल्कि यह उनकी सेहत के लिए लाभप्रद ही साबित होगा. आम लोगों में डायबिटिक रोगियों को चीनी की जगह शहद का प्रयोग कितना सुरक्षित है इस असमंजस की स्थिति को दूर करने के लिए ही बीएचयू के आयुर्वेदिक संस्थान की इस शोध का उद्देश्य था.
बीएचयू की रिसर्च टीम ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि शहद चीनी की तरह मीठा है लेकिन शहद का ग्लाइसेमिक इंडेक्स चीनी की तुलना में कम होता है जो मधुमेह रोगियों के खून में ग्लूकोज को ज्यादा नहीं बढ़ने देता है. यही नहीं रिपोर्ट में टीम ने यह भी बताया है कि शहद मिनरल विटामिंस एंटीऑक्सीडेंट्स आदि पोषक तत्वों से भरपूर होता है जो रोगियों की क्वालिटी ऑफ लाइफ को अच्छा करने में लाभप्रद साबित होता है. डायबिटीज रोग में शहद की उपयोगिता को लेकर बीएचयू के आयुर्वेदिक संकाय के रस शास्त्र और भेषज्य कल्पना विभाग की रिसर्च टीम की रिसर्च को पिछले माह अंतरराष्ट्रीय शोध पत्र का जनरल आफ फूड एंड साइंस टेक्नोलॉजी पत्रिका में प्रमुखता से प्रकाशित किया जा चुका है.
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शोध टीम के प्रोफेसर आनंद कुमार चौधरी बताते हैं कि इन दोनों बाजार में शहद की गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतर रही है. मधुमेह रोगियों में केवल और केवल प्राकृतिक शहद का सेवन लाभप्रद होगा. मिलावटी शहद का प्रयोग इन रोगियों की सेहत के लिए नुकसानदायक होगा.ने बताया कि उनकी यह रिपोर्ट भारत और जर्मनी की प्रयोगशाला में संयुक्त रूप से हुए अध्ययनों पर आधारित है. इस कारण केंद्र सरकार व नीति निर्माताओं को चाहिए कि भारतीय बाजारों में शुद्ध प्राकृतिक शहद की उपलब्धता सुनिश्चित करें.
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