सावधान! मदद के लिए आया फोन कहीं ठगों का तो नहीं, ऐसे फंसा रहे साइबर अपराधी
- वाराणसी में साइबर ठगी का नया अंदाज देखने को मिल रहा है. कोरोना महामारी के दौर में लोग एक दूसरी की मदद कर रहे हैं. इसी का फायदा ठगों ने उठाना शुरू कर दिया है. मदद के नाम पर फोन, मैसेज करते हैं और पैसा मिलने के बाद नंबर बंद कर देते हैं.
वाराणसी. कोरोना काल में सोशल मीडिया पर लोग एक दूसरे की मदद के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग अपना मतलब साधने में भी लगे हैं. ऐसे में साइबर ठग भी एक्टिव हो गए हैं. हाल ही में बीएचयू में दुग्ध विज्ञान व खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर दिनेश चंद्र राय ठगी का शिकार हो गए.
साइबर ठग इन दिनों ऐसे लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं जो हर समय मदद के लिए तैयार रहते हैं. ठग उन कोरोना मरीजों के नंबर हैक कर उन्हीं की व्हॉट्सएप डीपी का इस्तेमाल करके मदद मांगते हैं. ऐसे में किसी को शक भी नहीं होता है और आसानी से किसी के साथ भी लूट की जाती है.साइबर अपराधी जांच केंद्रों, अस्पतालों में रजिस्टर मरीजों के नंबर लेते हैं और फिर उनका इस्तेमाल करते हुए पैसों की डिमांड या अन्य जरूरी चीजें मुहैया कराने के नाम पर ठगी करते हैं.
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प्रोफेसर दिनेश चंद्र राय भी बीते गुरुवार को ठगी का शिकार हो गए थे. ठगी करने वाले जालसाज ने विभाग के ही कोरोना संक्रमित रहे प्रोफेसर रमेशचंद्र की फोटो लगाकर प्रोफेसर राय से मदद मांगी. ऐसे में विश्वास में आकर पांच-पांच हजार के पांच कूपन ई-मेल के जरिए भेज दिए.
लंका इंस्पेक्टर ने बताया कि केस दर्ज कर लिया गया है. जिस नंबर से मैसेज आया वह बंद आ रहा है. वहीं एक ठगी रोहनिया बाजार के होम आइसोलेशन में रह रहे मरीज के परिवार के साथ भी हुई. उन्होने डॉक्टर द्वारा बताई दवाई ऑनलाइन मंगाने के लिए फोन किया गया. परिवार से गूगल-पे के जरिए पैसे भी ट्रांसफर करा लिए गए. वहीं जब पैसे ट्रांसफर हो गए तो नंबर स्विच ऑफ कर दिया गया.
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