गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए 8 अक्टूबर को छोड़ी जाएंगी सवा लाख मछलियां

Pallawi Kumari, Last updated: Tue, 5th Oct 2021, 11:15 AM IST
  • गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए अस्सी घाट से सवा लाख मछलियां छोड़ी जाएंगी. राष्ट्रीय मत्स्यिकी विकास बोर्ड हैदराबाद और मत्स्य विभाग की ओर से आठ अक्टूबर को मछलियां छोड़ने की तैयारी की जा रही है.
8 अक्टूबर को गंगा में छोड़ी जाएंगी सवा लाख मधलियां. 

वाराणसी. गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए सरकार नए-नए कदम उठा रही है. गंगा स्वच्छ हो सके इसके लिए पहले से ही कई उपाय किए जा रहे हैं. अब इसी कड़ी में गंगा नदी में मछलियों को छोड़ने की योजना बनाई गई है. मछलियां गंगा नदी में प्रजनन करेगी जिससे गंगा नदी में जैव विविधता बढ़ेगी और नदी का प्रदूषण भी कम हो सकेगा. 

वाराणसी के अस्सी घाट से आठ अक्टूबर को सवा लाख मछलियां छोड़ी जाएंगी. इसके अलावा वाराणसी मंडल के गाजीपुर से भी सवा लाख मछलियां छोड़ी जाएंगी. इनमें हैचरी, नैन, कार्प की रोहू, कतला आदि प्रजाति की मछलियां होंगी. इसे लेकर राष्ट्रीय मत्स्यिकी विकास बोर्ड (हैदराबाद) और मत्स्य विभाग के बीच में करार हुआ है.

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मत्स्य विभाग के उप निदेशक एनएस रहमानी ने बताया कि, गंगा में मछलियां छोड़ने पर वह प्राकृतिक प्रजनन कर सकेगी. वहीं मछलियों के बढ़ने से अन्य जलीय जीवों में भी बढ़ोतरी होगी. इससे गंगा नदी का प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी. रहमानी ने बताया कि रिवर रैंचिंग के तहत प्रदेश के 12 जिलों में 15 लाख मछलियां छोड़ने की योजना बनाई गई है. रहमानी ने बताया कि मछलियों के बच्चों को गाजीपुर के सैदपुर और बनारस के कृष्णदत्त गांव की हैचरी में तैयार किया गया है, जिनकी लंबाई 80 मिमी तक होगी. 

रहमानी का कहना है कि हर दिन गंगा में काफी संख्या में नाइट्रोजन गिरता है यदि नाइट्रोजन 100 मिलीग्राम प्रति लीटर या इससे अधिक हो जाता है तो वो जलीय जीव जंतुओं को प्रभावित करता है. इसके कारण मछलियों के प्रजनन में समस्या आती है. वह अंडे नहीं दे पाती हैं. इससे इनकी प्राकृतिक क्षमता भी प्रभावित होती है. इस योजना के तहत सरकार मछलियों के जरिए नदियों में प्राकृतिक प्रजनन का कार्य शुरू करेगी क्योंकि इससे मछलियां संरक्षित होंगी और मछलियों के बढ़ने से अन्य जलीय जीवों में बढ़ोतरी होगी और प्राकृतिक प्रजनन ज्यादा होगा, जिससे नदी का प्रदूषण भी कम होगा.

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