जगदीश मोहन को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत, आर्थिक जुर्म में अग्रिम जमानत नहीं

Smart News Team, Last updated: Fri, 18th Jun 2021, 12:19 PM IST
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सिंचाई विभाग के रिटायर चीफ इंजीनियर जगदीश मोहन को भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के मामले में राहत देने से मना कर दिया है. न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने उनकी अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है.
भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी मामले में जगदीश मोहन की अग्रिम याचिका खारिज (प्रतीकात्मक तस्वीर)

वाराणसी. सिंचाई विभाग के रिटायर चीफ इंजीनियर जगदीश मोहन को भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया है. इस मामले में हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल ने जगदीश मोहन की अग्रिम जमानत की अर्जी को खारिज कर दिया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में सुशीला अग्रवाल केस का हवाला देते हुए कहा है कि आर्थिक अपराध के मामले में अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है.

जानकारी के अनुसार 9 अगस्त 2001 को प्रयागराज के सिविल लाइंस थाने में एक एफआईआर दर्ज कराई गई थी. जिसमें याची पर आरोप लगाया गया था कि उन्होने फ्रंटियर कांस्ट्रक्शन कंपनी के साथ मिलकर भारी वित्तीय अनियमितता की है. याची सितंबर 1996 में सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर के अपने पद से रियाटर हुआ था. याची की अभी 82 वर्ष की उम्र है. उनका कहना है कि इस आयु में वे बिमारियों से ग्रस्त है इसलिए उनकी अग्रिम जमानत को स्वीकार किया जाए.

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इस मामले में जगदीश मोहन पर 20 साल पहले एफआईआर दर्ज की गई थी. लेकिन उन्होंने न तो विवेचना में सहयोग किया और न ही चार्जशीट दाखिल होने के बाद अदालत में हाजिर होने आए. जब उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया तो सरेंडर करने की जगह अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल कर दी. उनकी इस अग्रिम जमानत की अर्जी का सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता विनोद कांत और अपर शासकीय अधिवक्ता विकास गोस्वामी ने विरोध किया है.

उनका कहना है कि याची कार्यवाही में सहयोग नहीं कर रहे है. जब वे वाराणसी स्थित विशेष अदालत में हाजिर नहीं हुए थे तब उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था. उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट ने इस वारंट पर छह सप्ताह तक या पुलिस रिपोर्ट पेश होने रोक लगा दी थी. इसके बावजूद याची ने अदालत में सरेंडर नहीं किया .

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