वाराणसी: लालपुर ट्रांसपोर्टर शाहिद इकबाल हत्यारा, भतीजा मकबूल आलम रोड से अरेस्ट
- चाचा का हत्या आरोपी भतीजा फरीद नेपाल भाग गया था, हत्या के बाद पहुंचा गोइठहां, चाय पीने के बाद तमंचा वहीं झाड़ी में छिपाकर भाग गया था , रुपये की कमी पड़ने पर आया था बनारस,तमंचा देने वाले पिंकू सिंह की तलाश जारी है.
वाराणसी: लालपुर पांडेपुर थाना क्षेत्र में शनिवार को ट्रांसपोर्टर शाहिद इकबाल उर्फ मुन्ना (45) की हत्या में आरोपित भतीजे फरीद उर्फ जुगनू को कैंट पुलिस ने गुरुवार सुबह मकबूल आलम रोड से गिरफ्तार कर लिया। उसकी बयान के बाद गोइठहां में चाय की दुकान के पास झाड़ी से हत्या में प्रयोग तमंचा भी बरामद कर लिया. सीओ अभिमन्यु मांगलिक ने बताया कि आरोपित हत्या के बाद नेपाल भाग गया था. रुपये की कमी होने पर वह वाराणसी वापस आया था, मिली इनपुट के आधार पर छापेमारी कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया.
सीओ ने बताया कि इसके लिए इसने मझिमिटिया निवासी पिंकू सिंह से कट्टा और कारतूस खरीदा. पिंकू उसका दोस्त है. उसी कट्टे से हत्या के बाद वह गोइठहां पहुंचा और एक चाय की दुकान पर रुका रहा. वहीं पर कट्टा व कारतूस छिपा दिया. इसके बाद छिपते हुए नेपाल भाग निकला था. गिरफ्तारी करने वाली टीम में इंस्पेक्टर राकेश सिंह, दरोगा दीनदयाल पांडेय, बनारसी यादव, अशोक कुमार व अन्य सिपाही थे.
ट्रांसपोर्टर मुन्ना को 21 नवम्बर को उनके पट्टीदार बड़े भाई मुश्ताक के घर में रिश्ते में भतीजा लगने वाले फरीद ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. सीओ ने बताया कि पूछताछ में उसने चाचा की हत्या की बात कबूली है. उसने ये भी बताया कि उसके पिता मजीद की हत्या मुन्ना ने की थी. इसी का बदला लेने के लिए वह मौका तलाश रहा था.
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कैसे हुई थी इकबाल की हत्या
मृतक इकबाल अपने परिवार के साथ मुश्ताक के घर पहुँच था. घर के पिछले हिस्से में मृतक इकबाल, मुश्ताक के साथ अन्य मेहमान बैठकर नाश्ता कर रहे थे उसी समय भतीजा फरीद वहां पर पहुंचा. जब सभी आए हुए मेहमानों को विदा करने के लिए उठे और साथ चलने लगे. इसी बीच भतीजे फरीद ने इकबाल के सर पर बन्दूक सटाकर गोली मार दी. गोली लगने से इकबाल की मौके पर ही मौत हो गई. जिसके बाद आरोपी फरीद ने मकान के पिछले हिस्से से होता हुआ वहां से फरार हो गया.
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पुलिस ने मृतक इकबाल के बारे में बताते हु कहा कि करीब 25 साल पहले मृतक मुन्ना ने जमीन विवाद में अपने भाई मजीद की हत्या कर दी थी. जिसके लिए उसे उक्त प्रकरण में सजा भी हुई थी. हालांकि जब वह जेल से सजा काटकर बाहर आया तो सभी परिवार में रिश्ते सामान्य हो गए थे.
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