समूह बनाकर लक्ष्मी के पास आ रही लक्ष्मी

Smart News Team, Last updated: Mon, 4th Jan 2021, 6:54 PM IST
लोहा पीट समुदाय से जुड़ी लक्ष्मी आज खुश है. पहले जहां उसे दो जून की रोटी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती थी लेकिन स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद अब लक्ष्मी के घर में लक्ष्मी आने लगी है.
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वाराणसी . मध्य प्रदेश के सागर जिले के माल्थोन गांव से मीरजापुर परिवार सहित आई लक्ष्मी इन दिनों टेंट लगाकर रह रही है. दिन भर हाड़ तोड़ मेहनत करने वाली लक्ष्मी की आर्थिक हालत पहले ऐसी नहीं थी. लोहा पीट कर घर गृहस्ती और रसोई के उपकरण बनाने वाली लक्ष्मी को बाजार में अपने उपकरण बेचने के लिए मशक्कत करनी पड़ती थी लेकिन मीरजापुर में रहकर जब से लक्ष्मी  स्वयं सहायता समूह से जुड़ी है. उसकी ना केवल अपने हाथ से बनाए सामान को बेचने का एक बाजार मिला है बल्कि उसकी आय भी बढ़ी है.

मीरजापुर जिले के विकासखंड दीपनगर में लक्ष्मी की कारीगरी और उसकी कड़ी मेहनत से बनाए गए घरेलू रसोई गैस के उपकरणों को देखने के लिए बरबस ही राहगीरों का ध्यान खिंच जाता है. राहगीर आते हैं तो लक्ष्मी के बनाए औजार भी खरीद कर अपने साथ ले जाते हैं. करीब के टेंट में रहने वाले लक्ष्मी के ही हमपेशा सुरेंद्र की माने तो पहले लक्ष्मी की यह स्थिति नहीं थी, अपना परिवार पालने के लिए उसे जूझना पड़ रहा था. सुरेंद्र बताते हैं कि जब से लक्ष्मी ने रानी लक्ष्मीबाई स्वयं सहायता समूह से जुड़कर सरकार के द्वारा दी जा रही वित्त पोषित सहयोग धनराशि के साथी प्रशिक्षण प्राप्त किया है, सबसे उसके जीने की राह आसान हो गई है. सरकार द्वारा उसे अपने बनाए गए उपकरणों के लिए बाजार उपलब्ध कराया गया. बाजार मिला तो लक्ष्मी और उसके परिवार की परवरिश भी आसान हो गई.

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लक्ष्मी के समूह से जुड़े सुरेंद्र बताते हैं कि समूह से जुड़ने के बाद अब उन्हें अपने उपकरण बेचने के लिए आसानी से ग्राहक मिल रहे हैं. बाजारों से भी दुकानदारों के उनके पास आर्डर प्राप्त हो रहे हैं. अब वह और उनका समूह केवल और केवल उपकरण बनाने में कड़ी मेहनत कर रहा है. लक्ष्मी भी कहती हैं कि पहले समूह बनाया समूह संचालन के लिए सभी नियमों का पालन किया. बताती है कि अब वह समूह के साथ रहकर ही देश में भ्रमण करते हुए अपनी मेहनत से बनाए गए उपकरणों को आसानी से बच पा रही हैं. उन्होंने बताया कि बरसात शुरू होते ही वह अपने गांव को वापस लौट जाएंगी.

 

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