मनोज सिन्हा: बीएचयू छात्रसंघ अध्यक्ष से केंद्रीय मंत्री और अब J&K एलजी तक का सफर
- पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता मनोज सिन्हा को जम्मू-कश्मीर का उप राज्यपाल बनाया गया है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता मनोज सिन्हा को जम्मू-कश्मीर का उप राज्यपाल बनाया गया है. मनोज सिन्हा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद करीबी माने जाते हैं. मोदी की पिछली सरकार में उनके पास रेल राज्यमंत्री के अलावा संचार जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार था. उत्तर प्रदेश के 2017 के विधानसभा चुनाव में जब भाजपा की ऐतिहासिक जीत हुई तो मुख्यमंत्री पद की रेस में मनोज सिन्हा सबसे आगे थे. ऐसा लगता था कि बस उनके नाम की घोषणा होने वाली है. घोषणा से ठीक पहले वह दिल्ली से बनारस दर्शन पूजन करने पहुंच गए. समर्थकों ने उन्हें भावी सीएम मानते हुए बनारस से गाजीपुर तक उनके नाम के पोस्टर बैनर लगा दिए और जश्न शुरू हो गया था. टीवी चैनलों पर भी सिन्हा छा गए थे. लेकिन पार्टी की ओर से योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया. इसके बाद भी मनोज सिन्हा की गिनती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद नेताओं में होती रही. ऐसे में अब एक बार फिर केंद्र सरकार की ओर से मनोज सिन्हा को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है.
गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद तहसील के मोहनपुरा गांव के साधारण परिवार में जन्में मनोज सिन्हा ने छात्र राजनीति से अपनी शुरुआत की. बीएचयू के छात्रसंघ अध्यक्ष से लेकर केंद्रीय मंत्री तक का सफर काफी तय किया. इस बीच उन्हें कई बार हार-जीत के बीच से होकर गुजरना पड़ा. पिछले लोकसभा चुनाव में हारने के बाद से मनोज सिन्हा को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं. अब जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल बनने के बाद सब पर विराम लग गया है.
घर के चंद कदम दूर स्थित प्राथमिक विद्यालय से उनकी पढ़ाई शुरू हुई और गांव में ही इंटर तक की पढ़ाई पूरी की. मनोज सिन्हा ने गणित और विज्ञान के विषयों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के आधार पर जिले के राजकीय सिटी इंटर कॉलेज में इंटरमीडिएट (विज्ञान वर्ग) में दाखिला लिया. मनोज सिन्हा के स्कूली दिनों के कई साथी बचपन के दिनों को याद करते हुए बताते है कि, ''सिटी इंटर कॉलेज में आईएससी के पहले वर्ष में ही विश्व हिन्दू परिषद (वीएचपी) के संपर्क में आए और उसके कार्यक्रमों में हिस्सा लेने लगे." इंटरमीडिएट की परीक्षा उन्होंने फर्स्ट क्लास में पास की और घरवालों का सपना पूरा करने बीटेक की पढ़ाई के लिए वह बीएचयू के इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी पहुंच गए. यहां से उन्होंने छात्र राजनीति में अपना कदम रखा. बीएचयू छात्र संघ के अध्यक्ष भी निर्वाचित हुए. उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
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