वाराणसी : सोनभद्र जिले के बाड़ी क्षेत्र में 174 करोड़ साल पुराना मिला जीवाश्म

Smart News Team, Last updated: Tue, 2nd Feb 2021, 1:45 PM IST
  • उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले मैं भू वैज्ञानिक टीम को तकरीबन 174 करोड़ साल पुराना जीवाश्म मिला है. भू वैज्ञानिक टीम का दावा है कि यह जीवाश्म सलखन के फॉसिल्स से भी 14 करोड़ साल पुराना है.
सोनभद्र जिले के बाड़ी क्षेत्र में 174 करोड़ साल पुराना मिला जीवाश्म (प्रतीकात्मक तस्वीर)

वाराणसी : सोनभद्र जिला पुरातत्व विभाग एवं भू वैज्ञानिक की नजर में प्राचीन धरोहरों की खान के रूप में माना जाता है. इसी कारण पुरातत्व विभाग और भू वैज्ञानिकों की टीम सोनभद्र जिले में डेरा जमाए रहती हैं. गत 25 जनवरी को इंदिरा गांधी ओपन विश्वविद्यालय दिल्ली की डॉक्टर मीलन मिश्रा, अमेरिका स्थित सायरा क्रू विश्वविद्यालय के डॉक्टर बिग फोर्ड व इंडियाना विश्वविद्यालय के डॉ अभिजीत विशु की 3 सदस्यी भू वैज्ञानिकों की टीम सोनभद्र जिले के डाला बाड़ी क्षेत्र के दौरे पर है. यह टीम 3 फरवरी तक क्षेत्र के पहाड़ों के पत्थरों पर शोध कर रही है. रविवार को शोध के दौरान इस टीम को पहाड़ों पर प्राचीन जीव का ढांचा मिला है. इस भू वैज्ञानिक टीम का दावा है कि यह जीवाश्म तकरीबन 174 करोड़ साल पुराना है. 

टीम ने यह भी दावा किया कि यह जीवाश्म सलखन के फॉसिल्स से भी 14 करोड़ साल पुराना है. सलखन के फॉसिल्स से मिला जीवाश्म 160 करोड़ साल पुराना था जबकि सोनभद्र के बिल्ली मारकुंडी के बाड़ी के पहाड़ों पर मिला जीवाश्म 174 करोड़ साल पुराना है. इस भू वैज्ञानिक टीम के प्रमुख मुकुंद शर्मा बताते हैं कि सोनभद्र जिला प्राचीन धरोहरों की खान है. बताया कि उनकी टीम साल 2000 से निरंतर शोध के लिए यहां आ रही है. बताया अब तक टीम ने चोपन ब्लाक के ग्राम पंचायत कोटा के कोटा खास ओबरा चोपन व सलखन से लगभग 45 पैकेट टेस्ट के लिए एकत्रित किए हैं. जिसे लखनऊ भेजे जाने की तैयारी की जा रही है. 

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वैज्ञानिक मुकुंद शर्मा ने बताया कि यहां पर तीन प्रकार के लेयर पाए जा रहे हैं जिनकी संरचनात्मक जांच की जा रही है.उन्होंने बताया कि यह जीवाश्म उस समय का है जब पृथ्वी पर जीवन नहीं हुआ करता था. केवल 1 ही वन पाए जाते थे. बताया कि इस पर एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर प्रदेश सरकार को सौंपी जाएगी. इससे क्षेत्र को अच्छा बनाया जा सके. यहां के लोगों को यह पता होना चाहिए कि कहां-कहां पर इस तरह का जीवाश्म है. बताया कि इसका अध्ययन करने के लिए जिले में जल्द ही भू वैज्ञानिकों की एक समिति बनाई जाएगी. इस समिति में प्रशासनिक अधिकारी वैज्ञानिक और पत्रकार भी शामिल होंगे.

 

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