वाराणसी: बीएचयू में माताओं को स्तनपान जनजागरण पर राष्ट्रीय कार्यशाला शुरू

Smart News Team, Last updated: Wed, 5th Aug 2020, 6:45 PM IST
  • महिलाओं को स्तनपान संबंधी जानकारी के लिए काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता था। मगर अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर एक छह दिवसीय कार्यशाला का आयोजन शनिवार से शुरू हो गया है।
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय मुख्य द्वार

वाराणसी। लगातार महिलाओं को स्तनपान संबंधी जानकारी के लिए काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता था। मगर अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर एक छह दिवसीय कार्यशाला का आयोजन शनिवार से शुरू हो गया है। इसके अलावा 7 अगस्त को राष्ट्रीय वेबीनार का भी आयोजन किया जाएगा। जिसमें महिलाओं को स्तनपान के फायदे और उपयोगिता की जानकारी देकर जागरूक भी किया जाएगा।

बीएचयू के कोमारभृत्य/ बाल रोग विभाग आयुर्वेद संकाय चिकित्सा विज्ञान संस्थान की ओर से विश्व स्तनपान सप्ताह 2020 का आयोजन किया जा रहा है। जिसके तत्वाधान में शनिवार 1 से 6 अगस्त तक छह दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। इसके उपरांत 7 अगस्त को राष्ट्रीय बेबिनार का आयोजन होना है। इस आयोजन का मुख्य उद्देश लेक्टिंग माताओं को स्तनपान के फायदे और उपयोगिता की जानकारी देकर जागरूक करना है। यही नहीं चिकित्सा विज्ञान के छात्रों एवं चिकित्सकों को स्तनपान संबंधी जानकारी को अपडेट करना है।

छह दिवसीय कार्यशाला के आयोजन में काशी क्षेत्र की लगभग 50 माताओं को जोड़ा गया है और प्रशिक्षण के माध्यम से उन्हें स्तनपान संबंधी जानकारी का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह कार्यशाला सभी छह दिनों सुबह 10 से 11 तक गूगल मीट द्वारा आयोजित की जाएगी। कार्यशाला में स्तनपान संबंधी अन्य जानकारियों को भी साझा करते हुए महिलाओं को जागरूक करने का प्रयास किया जाएगा। 7 अगस्त को राष्ट्रीय बेबिनार का आयोजन होगा। जिसमें माताओं को स्तनपान संबंधी जानकारी एवं प्रायः होने वाली परेशानियों का समाधान किए जाने का सीधा प्रसारण भी होगा।

कार्यशाला का आयोजन विभागाध्यक्ष प्रोफेसर बी एम सिंह के सुझाव एवं देखरेख में किया जायेगा। इच्छुक माताएं गूगल मीट के लिंक meet.google.com/itd-getr-ovn से जुड़कर स्तनपान सम्बन्धी जानकारी प्राप्त कर सकती हैं और अपने प्रश्नो का उचित समाधान प्राप्त कर सकती हैं। राष्ट्रीय कार्यशाला के आयोजन में विभाग के शिक्षक डॉ पी एस उपाध्याय, डॉ कल्पना पाटनी, डॉ आर एस खत्री एवं डॉ वैभव जायसवाल का विशेष योगदान रहेगा।

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