गंगा को लोगों की आजीविका का साधन बनाने में जुटी मोदी सरकार, अमल होगा 'अर्थ गंगा’ योजना

Sumit Rajak, Last updated: Mon, 10th Jan 2022, 6:52 AM IST
  • सरकार गंगा नदी को लोगों की आजीविका का साधन बनाने के लिए आईआईटी व आईआईएम जैसे देश के प्रतिष्ठित संस्थानों की मदद लेगी. राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक जी अशोक कुमार ने कहा कि हम नदियों को आर्थिक गतिविधियों से जोड़ने को लेकर ‘अर्थ गंगा’ पर योजना पर अमल करने के लिए काम कर रहे हैं.
फाइल फोटो

वाराणसी. सरकार गंगा नदी को लोगों की आजीविका का साधन बनाने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) व भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) जैसे देश के प्रतिष्ठित संस्थानों की मदद लेगी. उनके सुझावों पर कार्य योजना तैयार की जाएगी. इस उद्देश्य के लिए दोनों संस्थानों का एक समूह (कंसोर्टियम) भी बनाया जाएगा. 

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक जी अशोक कुमार ने कहा कि हम नदियों को आर्थिक गतिविधियों से जोड़ने को लेकर  ‘अर्थ गंगा’ पर योजना पर अमल करने के लिए काम कर रहे हैं. इसके तहत गंगा नदी को तटवर्ती क्षेत्रों के लोगों की आजीविका से जुड़ी गतिविधियों से जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है. उन्होंने बताया कि इस बारे में ह्राअर्थ गंगाह्रा परियोजना पर आईआईटी, आईआईएम जैसे देश के प्रतिष्ठित संस्थानों का एक कंसोर्टियम बनाया जाएगा. यह कंसोर्टियम गंगा सहित सहायक नदियों एवं उस पर आधारित आजीविका से जुड़ी पहलुओं पर विचार विमर्श कर एक रिपोर्ट तैयार करेगा. कुमार ने कहा कि इस रिपोर्ट एवं सुझाव के आधार पर एक समग्र कार्य योजना तैयार की जाएगी.उन्होंने कहा इस विषय पर जल्द आईआईएम, लखनऊ में एक कार्यशाला का भी आयोजन होगा. 

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प्रधानमंत्री मोदी ने दिसंबर 2019 में हुई राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक में ‘अर्थ गंगा’ का सुझाव दिया था. इसके तहत देशभर में गंगा की सहायक नदियों की परिस्थितिक तंत्र को सशक्त बनाने के साथ गंगा के किनारे बसे 4500 गांव की आर्थिक स्थिति को संवारने के लिए कदम उठाने का प्रस्ताव किया गया था.

नमामि गंगे कि कई परियोजनाओं का काम 15% बचा

नमामि गंगे के बारे में एक सवाल के जवाब में एनएमसीजी महानिर्देशक ने बताया कि इसके तहत कई परियोजनाओं का 10-15 प्रतिशत  कार्य शेष है. हमारी प्राथमिकता ऐसी परियोजनाओं को तीन-चार महीने में पूरा करने की है. अलग-अलग राज्यों में ऐसे करीब 15 मामले हैं. कई संस्थानों पर पुराने जलमल शोधन संयंत्र (एसटीपी) को दुरुस्त बनाने पर जोड़ दिया जाएगा. बिहार एवं उत्तर प्रदेश में मंजूर की गई कई परियोजनाओं पर काम शुरू करने पर भी ध्यान दिया जाएगा.

 

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