बाबा विश्वनाथ के झूलनोत्सव के साथ विदा होगा सावन, मंदिर स्थापना से चली आ रही परंपरा
- वाराणसी में आज 22 अगस्त को बाबा विश्वनाथ के झूलनोत्सव के साथ सावन को विदाई देंगे. मंदिर में शाम साढ़े चार से सवा पांच बजे तक पूजन किया जाएगा. उसके बाद काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा विश्वनाथ, के साथ माता पार्वती और गणेश जी का झूलनोत्सव सायंकाल पांच बजे के बाद शुरू होगा.

वाराणसी. वाराणसी में आज 22 अगस्त को बाबा विश्वनाथ के झूलनोत्सव के साथ सावन को विदाई देंगे. डॉ. कुलपति तिवारी के अनुसार काशी विश्वनाथ मंदिर में शाम साढ़े चार से सवा पांच बजे तक पूजन किया जाएगा. उसके बाद काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा विश्वनाथ, के साथ माता पार्वती और गणेश जी का झूलनोत्सव सायंकाल पांच बजे के बाद शुरू होगा. लोक परंपरा के तहत झूले की डोर थामने की अनुमति उन्हीं भक्तों को होगी जो बिना सिला हुआ वस्त्र धारण किए रहेंगे.
मंदिर की स्थापना काल से चली आ रही श्रावणी पूर्णिमा के अवसर पर पुरानी समय से चली आ रही परंपरा के तहत रविवार को बाबा विश्वनाथ, के साथ माता पार्वती और गणेश जी को झूले पर विराजमान किया जाएगा. इससे पहले टेढ़ीनीम में स्थित विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत के आवास पर बाबा विश्वनाथ की पंचबदन रजत प्रतिमा का विधि-विधान से पूजन-अर्चन किया जाएगा. पूजा के समापन के बाद मंदिर के अर्चक और महंत परिवार के सदस्य पंचबदन प्रतिमा को सिंहासन पर विराजमान करके विश्वनाथ मंदिर ले जाएंगे. इस दौरान बाबा को परंपरा के तहत विग्रह श्वेत वस्त्र से ढंका जाएगा.
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मंदिर में पंचबदन प्रतिमा को माता पार्वती और गणेश के साथ पारंपरिक झूले पर विराजमान किया जाएगा. पूजन के बाद सबसे पहले पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी और फिर सप्तर्षि आरती कराने वाले महंत परिवार के सदस्य बाबा को झूला झुलाएंगे. लोक परंपरा के अनुसार झूले की डोर थामने की अनुमति उन्हीं भक्तों को मिलेगी जो बिना सिला हुआ वस्त्र धारण किए रहेंगे. वहीं आज 22 अगस्त को श्रावणी पूर्णिमा के अवसर पर देश भर में भाई बहन का पर्व रक्षा बंधन मानते हुए सावन की बिदाई दी जाएगी.
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