बनारस में सृजित 151 रागों की बंदिशों को दिए शब्द पढ़ाएंगी यूरोप की यूनिवर्सिटी
- काशी नगरी के प्रख्यात सितारवादक पंडित शिवनाथ मिश्र ने संगीत जगत के लिए अनूठी पुस्तक ‘म्यूजिकल जर्नी’ लिख डाली है. इस पुस्तक में 108 राग पर आधारित 151 बंदिशों को शामिल किया है.

महासंकट में कोरोना के डर और मुसीबतों को दूर रखकर सृजन में जुटे संगीत तीर्थ काशी नगरी के प्रख्यात सितारवादक पंडित शिवनाथ मिश्र ने संगीत जगत के लिए अनूठी पुस्तक ‘म्यूजिकल जर्नी’ लिखी है. पुस्तक में शामिल बनारस की गायकी अंग पर आधारित 151 बंदिशों की खासियत यह है कि सितार, गिटार, वीणा, बांसुरी, वायलिन, शहनाई, संतूर और सरोद के साथ वेस्टर्न वाद्ययंत्रों गिटार, सेक्सोफोन, चेलो व कलैरिनेट पर भी बजाई जा सकेगी. पुस्तक प्रकाशित होने से पहले ही यूरोपीय देशों के विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम का इसे हिस्सा बनाने को आधिकारिक सूचना आने लगी है. कोरोना काल में बनारस में लिखी गई यह दूसरी पुस्तक है, जो पाठ्यक्रम में शामिल होगी. इससे पहले प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. नीरजा माधव की कोरोना काल पर आधारित हिन्दी के पहले उपन्यास ‘कोरोना’ को कर्नाटक के लिंगराज कॉलेज प्रबंधन ने बीए पाठ्यक्रम में शामिल किया है.
108 रागों पर आधारित बंदिशें
कलाकार पंडित शिवनाथ मिश्र ने लॉकडाउन से लेकर अनलॉक तक में सारे विषयों से ध्यान हटाकर सबसे पहले राग ‘शिवमंजरी’, ‘गंगा रंजनी’ एवं ‘अटल कल्याण’ की रचना की और फिर पुस्तक लिखने में जुट गए. इस पुस्तक में 108 राग पर आधारित 151 बंदिशों को शामिल किया है. रागों में भी अप्रचलित गावती, चंपाकली, सहाना, गंगा रंजनी, अद्भुत कल्याण, परज, नायकी, गारा, बहार, अहीर ललित, सिंदूरा, मलगूंजी व धाना पर बंदिशें आधारित हैं. बंदिशें सार्वजनिक करने को पुस्तक रूप में प्रकाशित होने में अभी और एक माह का समय लगेगा, लेकिन इसकी चर्चा देश से लेकर विदेश तक में होने लगी है.
यूरोपीय देशों की डिमांड पर अंग्रेजी में भी
यूरोपीय दशों के विश्वविद्यालयों में भारतीय शास्त्रीय संगीत की शिक्षा देने वाले शिक्षकों को इस पुस्तक के बारे में पता चलने पर उन्होंने इसकी चर्चा पाठ्यक्रम निर्धारण मंडल से की. इसके बाद मिलनो कन्सर्वटॉरी (इटली),वीएना कन्सर्वटॉरी (आस्ट्रेलिया), म्यूनिक म्यूजिक एकेडमी (जर्मनी) क्लोन म्यूजिक स्कूल (जर्मनी) व लोगन यूनिवर्सिटी (यूएसए) आदि कई यूनिवर्सिटी और म्यूजिक एकेडमी की ओर से आई सूचना में जिक्र किया गया है कि तंत्रवाद्यों के लिए खासतौर पर तैयार की गई बंदिशों की पुस्तक को वह अपने पाठ्यक्रम में शामिल करने के इच्छुक हैं. इसे ध्यान में रखते हुए ही पुस्तक का प्रकाशन हिन्दी के अलावा अंग्रेजी भाषा में भी कराने की तैयारी है.
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