यूपी: गर्वनर की पाठशाला में बच्चे हुए मंत्रमुग्ध, पूछा- कैसी है व्यवस्था?

Smart News Team, Last updated: Tue, 3rd Nov 2020, 3:52 PM IST
  • राज्यपाल आनंदीबेन पटेल अपने वाराणसी दौरे सोमवार को मटुका पहुंची जहां उन्होंने गर्भवती महिलाओं और बच्चों से मुलाकात की. साथ इस क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्र की व्यवस्था की जायजा लिया.
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल : फाइल फोटो

  प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र में प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल तीन दिवसीय दौरे पर शहर पहुंची हैं. इसी क्रम में राज्यपाल ने मंगलवार सुबह सेवापुर आंगनबाड़ी का दौरा किया. यहां पहुंचकर उन्होंने बच्चों की पाठशाला लगाई और कई बच्चों से सवाल भी पूछे. उनके पढ़ाने का अंदाज काफी निराला रहा क्योंकि उनकी हाथ में एक शिक्षक की तरह छड़ी और जुबान पर सवाल. इस केंद्र की दीवार पर लगे गिनते वाले पोस्टर को बच्चों को सामने खड़ा कर एक-एक से सवाल किया. जिसका कुछ बच्चों ने सही जवाब दिया तो कुछ नहीं बता पाए. फिर राज्यपाल ने बच्चों को दुलारा और साथ ही मिलने वाली सुविधाओं के बारे में भी पूछा. राज्यपाल के साथ सूबे की मंत्री स्वाति सिंह मौजूद रहीं.

 

राज्यपाल सोमवार को काशी पहुंची थीं. इन तीन दिनों के दौरे में वह विभिन्न आयोजनों में शिरकत भी करेंगी. अपने दौरे के दूसरे दिन राज्यपाल देश के पहले आदर्श ब्लाक सेवापुरी के मटुका और अमिनी आंगनबाड़ी केंद्र पर पहुंचीं. मटुका में उन्होंने गर्भवती महिलाओं और बच्चों से मुलाकात की. आंगनबाड़ी केंद्र की व्यवस्था की जानकारी प्राप्त की. सोमवार को सर्किट हाउस में जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, स्वयं सहायता समूहों के साथ आंगनबाड़ी और टीबी उन्मूलन समेत कई बिंदुओं पर वार्ता की. महिलाओं और बच्चों के विकास के लिए माइक्रो प्लान बनाने पर जोर दिया. बोलीं, अच्छी शिक्षा ही गरीबी से मुक्ति का एकमात्र उपाय है.

 

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राज्यपाल ने कुपोषित बच्चों एवं टीबी संक्रमित बच्चों को गोद लेने और उन्हें स्वस्थ बनाने में हर वर्ग से आगे आने को कहा है. कहा, विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर, प्राचार्य, अध्यापकों के अलावा उद्योग जगत भी इस मुहिम में जुड़े. राज्यपाल ने कहा कि बच्चों का ड्रॉप आउट को एक फीसदी से कम करने पर जोर दिया. गांवों में 100 प्रतिशत संस्थागत प्रसव हो. हर प्रकार से कन्या सुमंगला योजना से लाभान्वित हो.

 

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शिक्षा नीति के भी बारे में बताया: गर्वनर

नई शिक्षा नीति की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें छोटे बच्चों के लिए पर्यावरण, विज्ञान, कौशल विकास समेत कई अलग-अलग पाठ्यक्रम हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों का गांवों में सामूहिक टूर और खेल कराएं, संस्कारों और संस्कृतियों से रूबरू कराएं. शैक्षिक कैलेंडर में नाश्ता सहित भोजन का भी खास ध्यान रखें. इससे बच्चे उत्साहित होते हैं.

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