बनारस जरदोजी क्राफ्ट, मऊ साड़ी समेत काशी क्षेत्र के 6 और उत्पादों को मिला GI टैग, जानें
वाराणसी. काशी क्षेत्र के छह उत्पादों सहित प्रदेश को आठ और GI (Geographical Indication) मतलब भौगोलिक संकेत टैग मिले हैं. इसमें बनारस जरदोजी क्राफ्ट, वुड कावग, हैंड ब्लाक प्रिंट, मिर्जापुर पीतल बर्तन, चुनार ग्लेज पाटरी, मऊ साड़ी के साथ ही बागपत का रतोल आम और महोबा का देशावरी पान शामिल है. अब जीआई उत्पादों की संख्या काशी में 18 तो प्रदेश की संख्या 34 हो गई है.
डिप्टी रजिस्ट्रार जीआइ सचिन शर्मा व कमिश्नर दीपक अग्रवाल की मौजूगी में पेटेंट, डिजाइन, ट्रेडमार्क एवं जीआइ रजिस्ट्री और प्रदेश सरकार के संयुक्त तत्वावधान में मंडलायुक्त सभागार में आयोजित समारोह में इन प्रमाण पत्रों को संबंधित आवेदकों व सुविधादाताओं को सौंपा गया. साथ ही मिर्जापुर दरी व भदोही कालीन के 34 यूजर प्रमाण पत्र बांटे गए. कार्यक्रम में जीआइ रजिस्ट्रार और कमिश्नर ने लोगों को शुभकामनाएं दी.
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कार्यक्रम में सभी अतिथि ऑनलाइन माध्यम से जुड़े. अयोध्या से मुख्य अतिथि के तौर पर जुड़े पर्यटन, संस्कृति, धर्मार्थ कार्य प्रोटोकाल राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डा. नीलकंठ तिवारी ने कहा कि वाराणसी के 12 जीआइ उत्पादों को संरक्षित करने का कार्य कर लिया गया है. इससे पूरे विश्व में काशी क्षेत्रों की पहचान बढ़ेगी और वैश्विक स्तर भारत को और भारत की कारीगरी सम्मान मिल रहा है.
कार्यक्रम का संचालन जीआइ विशेषज्ञ पदमश्री डा. रजनीकांत ने किया. कार्यक्रम में जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा, नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डा. डीएस चौहान, सीनियर एक्सेमिनर प्रशांत कुमार आदि ने काशी के उत्पादों के लेकर अपने विचार व्यक्त किए तो डीपीआइटीटी के सचिव व संयुक्त सचिव, बौद्धिक संपदा अधिकार के कंट्रोलर जनरल आनलाइन जुड़े.
बनारसी पान को मिले जीआइ टैग:
बनारसी पान को जीआइ टैग मिलना चाहिए जिसके लिए विशेषज्ञों के साथ वाराणसी तांबूल विक्रेता समिति की पंजीकरण के लिए बैठक हुई. इसमें राजेंद्र चौरसिया ने कहा वाराणसी तांबूल विक्रेता समिति को जीआइ टैग के लिए आवेदन कराना चाहिए. बनारसी पान का क्रेडिट सही लोगों को मिलना चाहिए. उम्मीद है भ्रम को दूर करके सही लोगों को बनारसी पान का जीआइ टैग दिया जाएगा.
काशी के इन क्षेत्रों के पास है जीआई टैग:
मिर्जापुर की दरी, भदोही की कालीन, निजामाबाद की ब्लैक पाटरी, बनारस की साड़ी, ग्लास बीड्स, मेटल रिपोजी, गुलाबी मीनाकारी, चुनार बलुआ पत्थर, गाजीपुर की वॉल हैंगिंग, गोरखपुर टेराकोटा. लेकिन इनमें से कई उद्योग ऐसे है जिनके पास जाआइ टैग तो है लेकिन प्रशासन की उपेक्षा ने कला गायब होती जा रही है.
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