वाराणसी: स्लॉटर हाउस के पास जानवरों को काटा, फिर मांस खाल की तस्करी
- वाराणसी के जैतपुरा के अंतर्गत मनहर स्थित बंद पडे़ स्लॉटर हाउस के बगल में जानवरों को काटा जाता है और मांस, खाल व अवशेष की तस्करी की जाती है. सूचना मिलने पर एसीपी चेतगंज ने गोदाम में छापा मारा. पुलिस ने वहां से कुछ मजदूरों को हिरासत में लिया है, जिनसे पूछताछ की जा रही है.

वाराणसी. वाराणसी के जैतपुरा के अंतर्गत मनहर स्थित बंद पडे़ स्लॉटर हाउस के बगल में जानवरों को काटा जाता है और मांस, खाल व अवशेष की तस्करी की जाती है. सूचना मिलने पर शनिवार की शाम एसीपी चेतगंज ने छापा मारकर एक ट्रक मवेशियों की खाल और अवशेष बरामद किया.
डीसीपी वरुणा जोन आदित्य लांग्हे को सूचना मिली कि स्लॉटर हाउस के बगल में जानवरों को काटा जाता है और मांस, खाल व अवशेष की तस्करी की जाती है. सूचना के आधार पर डीसीपी ने एसीपी चेतगंज संतोष कुमार मीणा को मौके पर पहुंचने का निर्देश दिया. अपराह्न बाद जैतपुरा और आदमपुर थाने की फोर्स के संग पहुंचे एसीपी चेतगंज ने गोदाम में छापा मारकर ट्रक पर लोड हो रहे मवेशियों के खाल और अवशेष को बरामद किया.
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पुलिस ने वहां से कुछ मजदूरों को हिरासत में लिया है, जिनसे पूछताछ की जा रही है. प्रतिबंध के बावजूद मवेशियों के खाल व मांस की तस्करी ने एलआईयू और स्थानीय पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़ा कर दिया है.
पुलिस को देखते ही ट्रक ड्राइवर फरार हो गया तो वहीं लोडिंग करने वाले कुछ लड़कों को पुलिस ने हिरासत में लिया. गोदाम के अंदर मवेशियों के अवशेष पड़े हुए थे. जैतपुरा पुलिस ने मवेशियों के खाल सहित ट्रक को कब्जे में ले लिया.
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लंबे समय से चल रही थी चमड़े की तस्करी
स्लॉटर हाउस के आसपास लंबे समय से जानवरों को काटने और उनके अवशेष बेचने का काम चल रहा था. बरामद जानवरों के चमड़े और खाल को यहां से ट्रक सहित अन्य मालवाहकों पर लोड कर कानपुर भेजा जाता है. जहां पर इसे 180 रुपये से लेकर दो सौ रुपये तक में बेचा जाता है. एसीपी चेतगंज संतोष मीणा ने बताया कि ट्रक पर लोड और गोदाम के अंदर से जानवरों के काले चमड़े बरामद किए गए हैं.
जानकारी के मुताबिक, गोदाम के अंदर परफ्यूम व सेंट जैसा केमिकल मिलाया जाता था कि मांस का दुर्गंध न फैले. आसपास रहने वालों को इसकी भनक जरूर थी लेकिन पुलिस को सूचना नहीं मिल पा रही थी. गोदाम से कुछ ही दूरी पर आदमपुर थाना क्षेत्र लगने के कारण जैतपुरा और आदमपुर पुलिस दोनों इस गोदाम से अनजान बनी हुई थी. इलाकाई चौकी इंचार्ज को भी नहीं मालूम चल पाया कि स्लॉटर हाउस के बगल में क्या चल रहा है. वहीं स्थानीय एलआईयू को भी गोदाम के बारे में भनक नहीं लग सकी.
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