वाराणसी: नगर निगम और ग्राम पंचायत के आपसी विवाद में डूबा है अवलेशपुर गांव

Smart News Team, Last updated: Tue, 18th Aug 2020, 3:06 PM IST
  • दर्जनों गांव पानी में डूबे, मदद को आगे नहीं आ रहे जनप्रतिनिधि. 20,000 से अधिक आबादी जलभराव से प्रभावित. रोजमर्रा की चीजों के लिए घुटनों तक भरे पानी में चलकर जाने को मजबूर हैं ग्रामीण. जहरीले जीवों के पानी में होने से ग्रामीणों में भय का माहौल.
वाराणसी

वाराणसी: वाराणसी जिले के दर्जनों गांव पानी में डूबे हुए हैं लेकिन इनकी समस्या की सुधि लेने वाला कोई नहीं है. ग्रामीणों ने कई बार जलभराव की समस्या को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों से शिकायत की.

बावजूद इसके समस्या का समाधान नहीं हो रहा है. जनप्रतिनिधि आर्थिक संकट का हवाला देकर कन्नी काटते हुए नजर आए. ग्रामीणों की न तो प्रधान सुनने वाला है ना ही विधायक और सांसद. आखिर ग्रामीण अपने समस्याओं को लेकर जाए तो जाए कहां.

वाराणसी

वाराणसी के अवलेशपुर गांव में विगत तीन माह से जलभराव की समस्या बनी हुई है. नगर निगम व ग्राम पंचायत के आपसी विवाद के चलते जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं हो पा रही है. उनके आपसी विवाद के चक्कर में ग्रामीण पिस रहे हैं.

शहर से सटे रोहनिया काशी विद्यापीठ विकासखंड के अवलेशपुर गांव सहित कर्दमेश्वरपुरम, सुरभिनगर, रेवागीर, हरिजन बस्ती, राज बस्ती, राजभर बस्ती आदि में जलभराव की स्थिति बनी हुई है. इन सभी जगहों पर घुटनों से अधिक पानी लगा हुआ है.

वाराणसी

सैकड़ों घरों में दो से 4 फीट तक पानी भरा हुआ है. ग्रामीण मजबूरन अपने घर की छतों पर पॉलिथीन तानकर अपना आशियाना बनाए हैं, उसी में वे किसी तरह अपना गुजर-बसर कर रहे हैं. घर में कहीं भी खाना बनाने या बैठने लायक जगह नहीं है. मजबूरन सभी को छत का सहारा लेना पड़ रहा है.

गांव के राजू प्रसाद ने बताया कि घर में पानी भरा हुआ जिससे मजबूरन छत पर रहना पड़ रहा है. गांव के सभी लोग अपने घर की छत पर ही रह रहे हैं. ग्राम प्रधान से शिकायत की गई तो उन्होंने खाता बंद होने की बात कहते हुए समस्या से कन्नी काट ली.

सुभाष पटेल ने बताया कि दर्जनों परिवार गांव छोड़कर अपने रिश्तेदारों के वहाँ चले गए हैं. शौचालय में भी पानी भरा हुआ है. गांव से 1 किलोमीटर दूर शौच के लिए लोगों को जाना पड़ता है.

वाराणसी

स्थिति नारकीय हो गई है. लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. सिर्फ चुनाव के समय ही लोगों को हमारी याद आती है. उसके बाद से कोई नेता या जनप्रतिनिधि गांव में नजर नहीं आता.

एक ही गांव में करीब 13000 से अधिक की आबादी है जिसमें से करीब 6500 लोग वोटर हैं. सात से आठ छोटी-बड़ी कॉलोनियां मिलाकर लगभग 20 से 25 हजार लोग जलभराव से प्रभावित हैं.

गांव के जलनिकासी की व्यवस्था नहीं होने के चलते समस्या बनी हुई है.

स्थानीय प्रधान ने बताया कि किसी तरह पंचायत भवन के पास मलबा डलवा कर हरिजन बस्ती के रास्ते पानी निकलवाने का प्रयास किया गया लेकिन पानी नहीं निकला.

जलभराव की समस्या को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है. उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों को समस्या से अवगत करा दिया है लेकिन अभी तक गांव में ना तो अधिकारी और ना ही कोई जनप्रतिनिधि नजर आया.

 

आज का अखबार नहीं पढ़ पाए हैं।हिन्दुस्तान का ePaper पढ़ें |

अन्य खबरें