वाराणसी: बदले गंगा के रंग से अधिकारी परेशान, पानी के सैंपल की जांच रिपोर्ट जल्द

Smart News Team, Last updated: Wed, 9th Jun 2021, 12:35 PM IST
  • वाराणसी गंगा के हरे होने कारणों की जांच के लिए मजिस्ट्रेट के अंतर्गत 5 सदस्यों की एक टीम का गठन किया है. ये टीम गंगा के हरे शैवाल कहां से आ रहे हैं. इन वजहों की तलाश में  जांच शुरू की है.
वाराणसी जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने गंगा के हरे कारणों की जांच के लिए एक पांच सदस्य वाली टीम का गठन किया है. (प्रतीकात्मक फोटो)

वाराणसी : वाराणसी के प्रसिद्ध घाटों के किनारे बहने वाली गंगा नदी का हरा रंग में बदलने से जिला प्रशासन काफी चिंतित हो गया है. साधारण दिनों में वाराणसी की गंगा का पानी साफ रहता था. लेकिन अचानक से हरा शैवाल से पूरा पानी हरा हो चुका है. गंगा नदी से जुड़े कई विशेषज्ञ लोगों का मानना हैं कि नदी का पानी के ठहरने के कारण हरा हुआ होगा. फिर भी इस रहस्यमयी कारण को जानने के लिए एक टीम का गठन किया गया है. पांच सदस्यों वाली यह टीम सिटी मजिस्ट्रेट के देखरेख में मंगलवार से गंगा के हरे कारणों की जांच में जुट गया है.

जिलाधिकारी की बनाई गई. यह जांच टीम में तीन दिनों में अपनी रिपोर्ट देगा. बीते 21 मई को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वाराणसी की गंगा नदी घाट खिड़कियां से लेकर मिर्जापुर तक के कई जगह से प्रदूषण बोर्ड के लोगों ने गंगा जल के सैंपल लिए थे. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच रिपोर्ट आने से पहले ही गंगा नदी का जल अपने आप ही सामान्य हो गया. इसके कुछ दिनों बाद फिर से गंगा का जल हरा होने लगा. अब इसके लिए केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने फिर से सैंपल इकट्ठा करके जांच शुरू कर दी है.

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प्रदूषण बोर्ड इस जांच में जुटी है कि यह हरे शैवाल गंगा नदी में आ कहां से रहे हैं. फिलहाल केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपनी रिपोर्ट 10 जून तक दे देगा. कुछ विशेषज्ञ लोगों का मानना है कि वाराणसी शहर में गंगा के किनारे हो रहे बड़े निर्माण को कारण बताया है. अधिकारियों ने गंगा नदी में गिरने वाले औद्योगिक नालों से गिरने वाले केमिकल के कारण बदलाव के रंगों की भी जांच की है. जिसमें हरे रंग होने के सबूत नहीं मिले है.

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