वाराणसी: विश्वनाथ मंदिर परिसर मामले में एक सितंबर को सुनवाई
- वाराणसी में ज्ञानवापी विश्वनाथ मंदिर परिसर मामले में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की अपील पर अदालत में एक सितंबर को सुनवाई होनी है. ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण तथा हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने आदि को लेकर साल 1991 में मुकदमा दायर किया था.

ज्ञानवापी विश्वनाथ मंदिर परिसर मामले में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की अपील पर अदालत में एक सितंबर को सुनवाई होनी है. दरअसल, विश्वनाथ मंदिर परिसर मामले में दाखिल मुकदमे की सुनवाई करने के क्षेत्राधिकार को लेकर सिविल जज के फैसले के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से जिला जज उमेशचंद्र शर्मा की अदालत में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की गई है. गौरतलब है कि इंतजामिया ने उक्त मामले की सुनवाई करने के सिविल कोर्ट के क्षेत्राधिकार को चुनौती दी थी. जिसे सिविल जज (सीनियर डिवीजन-फास्टट्रैक) ने 25 फरवरी को खारिज कर दिया था. इस फैसले के खिलाफ इंतजामिया की ओर से जिला जज की अदालत में पुनरीक्षण याचिका दायर की गई है. इस मामले में सोमवार को सुनवाई के बाद अदालत ने उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को नोटिस जारी करने का आदेश देते हुए अग्रिम सुनवाई के लिए एक सितंबर की तारीख मुकर्रर कर दी है.
बता दें कि प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ तथा अन्य पक्षकारों ने ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण तथा हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने आदि को लेकर साल 1991 में मुकदमा दायर किया था. इस मामले में वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने ज्ञानवापी परिसर स्थित तथाकथित विवादित स्थल का भारतीय सर्वेक्षण विभाग से राडार तकनीक सर्वेक्षण कराने की सिविल जज की अदालत मे अपील कर रखी हैं.
वहीं सिविल अदालत में फरवरी माह में सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से दलील दी गई थी कि जिस संपत्ति को वादी पक्ष द्वारा विवादित बताया जा रहा है. वह संपत्ति मस्जिद है और वक्फ बोर्ड में रजिस्टर्ड है. इंतजामिया का कहना है कि वक्फ एक्ट के प्रावधान के तहत मस्जिद, कब्रिस्तान, इमामबाड़ा, मजार आदि से संबंधित विवाद का निस्तारण सिविल कोर्ट द्वारा नहीं किया जा सकता.
इससे संबंधित वाद के सुनवाई का क्षेत्राधिकार लखनऊ स्थित वक्फ न्यायाधिकरण बोर्ड को है. प्रतिवादी पक्ष ने अपने दलील के समर्थन में हाईकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट की नजीरों को भी अदालत के समक्ष पेश किया. वहीं वादमित्र तथा वादी पक्ष की ओर से दलील दी गई कि उक्त विवादित परिसर स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ मंदिर का अंश है. इसके नीचे विश्वेश्वरनाथ की ज्योर्तिलिंग मौजूद है.
वहीं हिंदू पक्षकारों के द्वारा वर्ष 1991 में सिविल जज की अदालत में मुकदमा दाखिल किया गया था. जबकि, नया वक्फ एक्ट 1995 में गठित हुआ. इस मामले में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड वक्फ एक्ट 1954 के अंतर्गत ज्ञानवापी मस्जिद का रजिस्ट्रेशन हुआ है. जबकि यह एक्ट यूपी में लागू नहीं हुआ था. इस स्थिति में मुकदमे की सुनवाई का अधिकार सिविल कोर्ट को ही है.
दोनों पक्ष की बहस सुनने के बाद अदालत ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि मुसलमानों के मध्य विवाद की सुनवाई करने का क्षेत्राधिकार वक्फ न्यायाधिकरण को है. जबकि, गैर मुस्लिम के स्वत्व के विवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार सिविल अदालत को है. जिसके खिलाफ पुनरीक्षण याचिका दायर की गई है.
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