अन्नपूर्णा मंदिर के महंत को दी गई भू-समाधि, गंगा स्वच्छता के लिए किए थे कई कार्य

Smart News Team, Last updated: Sun, 11th Jul 2021, 10:40 AM IST
  • काशी अन्नपूर्णा मंदिर के महंत रामेश्वर पुरी के निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को जल समाधि की जगह भू-समाधि दी गई. रात में ही श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा के संत महंत उनका पार्थिव शरीर विश्वनाथ गली स्थित अन्नपूर्णा मंदिर से लेकर शिवपुर स्थित अन्नपूर्णा आश्रम ले आए. जहां उन्हें भू-समाधि दी गई.
अन्नपूर्णा मंदिर के महंत रामेश्वर पुरी को दी गई भू-समाधि

वाराणसी. काशी अन्नपूर्णा मंदिर के महंत रामेश्वर पुरी का शनिवार 10 जुलाई को को निधन हो गया. उनके पार्थिव शरीर को गंगा नदी में जल समाधि नहीं दी गई. इसकी जगह उन्हें शिवपुर स्थित अन्नपूर्णा आश्रम परिसर में भू-समाधि दी गई. महंत रामेश्वर पुरी को जल समाधि देना तय किया गया था. लेकिन रातों-रात कार्यक्रम में फेरबदल करके उनके पार्थिव शरीर को विश्वनाथ गली स्थित अन्नपूर्णा मंदिर से शिवपुर स्थित अन्नपूर्णा आश्रम लाया गया. जिसके बाद उन्हें भू-समाधि दी गई.

 

महंत रामेश्वर पुरी ने अपने जीवनकाल में गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए बहुत से कार्य किए है. ललिता घाट पर दैनिक गंगा आरती शुरू करने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है. जानकारी के अनुसार गंगा निर्मलीकरण के निमित्त सार्थक संदेश को लोगों तक पहुंचाने के लिए भू-समाधि के विकल्प को चुना गया. श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा के संतो महंतो के बीच मंत्रणा के बाद उनके पार्थिव शरीर को जल समाधि की जगह भू-समाधि में विलीन किया गया. शनिवार रात को ही अखाड़ा के संत महंत उनके पार्थिव शरीर को शिवपुर स्थित अन्नपूर्णा आश्रम ले आए थे.

 

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गौरतलब है कि महंत रामेश्वर पुरी का 70 साल की उम्र में वाराणसी के महमूरगंज स्थित एक निजी अस्पताल में 10 जुलाई को निधन हो गया. पिछले डेढ़ महीने से वे बीमार चल रहे थे. उनके सीने में इंफेक्शन के कारण लखनऊ के मेदांता अस्पताल में वे भर्ती थे. उनकी सेहत में सुधार न होने के कारण उन्हें कल रात वाराणसी के हॉस्पीटल में भर्ती कराया गया. उनके हार्ट में इंफेक्शन बढ़ने की वजह से उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था. लेकिन शनिवार को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया.

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