कोरोना में छूटा रोजगार तो श्रमिक दे रहे शवों को कंधा, मिल रहा 250 से 500 रुपए
- वाराणसी के मजदूर कोरोना महामारी में रोजगार नहीं मिलने पर शवों को कंधा देने का काम शुरू कर दिया है. कुछ मजदूर रोजी रोटी तो कुछ शराब पीने के लिए ये काम कर रहे है.
वाराणसी. इस कोरोना काल मे मरे हुए लोगों को कंधा देने के लिए पड़ोसी तो छोड़िए रिश्तेदार भी कंधा नहीं दे रहे है. जिससे परिजनों को अपनो को श्मशान घाट तक ले जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वही दूसरी तरफ कोरोना की वजह से एक बार फिर मजदूर बेरोजगार हो गए. वही कोरोना के कारण उनके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में बेरोजगार हुए श्रमिक अब वाराणसी के श्मशान घाटों तक शवों को पहुंचाने का काम शुरू कर दिया है.
वही वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर शव को पहुंचाने वाले मजदूर त्रिवेणी ने बताया कि वह पहले मजदूरी का काम किया करते थे, लेकिन जबसे कोरोना संक्रमण दोबारा अपने पैर पसारने शुरू किया है तबसे उनको काम मिलना बंद ही हो गया. जिसके बाद से वह मणिकर्णिका घाट तक शवों को कंधा देने का काम शुरू कर दिया है. वही इससे उन्हें दिन में करीब 500 से 1000 रुपए तक मिल जाते है.
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इसी तरह शवों को कंधा देने वाले एक श्रमिक बाबू बताते है कि वह पहले मजदूरी का काम करते थे, लेकिन कोरोना के कारण उनको काम मिलना बंद हो गया. जिसके बाद से वह हरिश्चंद्र घाट के बाहर ही खड़े रहते है. जहाँ पर उन्हें शवों को कंधा देने के एवज में 250 से 500 रुपए मिल जाता है. मजदूर बाबू ने बताया कि यहां पर लोग गाड़ी में शवों को लेकर आते है. कोरोना की वजह से परिवार के लोग कंधा नहीं देते है. तब वही शवों को कंधा देकर अपनी रोजी रोटी का इंतेजाम करते है.
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वही एक परिवार ने भी बताया कि जाने अनजाने में ये मजदूर लोगों की एक तरह से मदद ही कर रहे है. वही उन्होंने बताया कि उनकी चाची की मौत तीन दिन पहले हुई थी. सामान्य मौत होने के बावजूद भी कोई कंधा देने के लिए आगे नहीं आया. जिसके बाद इन्ही मजदूरों ने कंधा देखर शव को श्मशान घाट तक पहुंचाया.
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