वाराणसी : 193 वर्ष पहले बनारस की 1.8 लाख थी आबादी

Smart News Team, Last updated: Tue, 9th Feb 2021, 1:14 PM IST
  • काशी का इतिहास सदियों पुराना है. काशी के सांस्कृतिक महत्व का पता दुनिया को 193 साल पहले लगा था. 193 साल पहले काशी शहर की पहली बार सेंसस तकनीक से वैज्ञानिक गवना कराई गई थी. उस काल में बनारस की नगरी आबादी 1.8 लाख के करीब थी.
काशी, गंगा नदी (फाइल तस्वीर)

वाराणसी : भारत में पहली बार सेंसस जनगणना कराने का श्रेय लॉर्ड मेयो को जाता है. उनके द्वारा साल 1871 में देश में पहली बार जनगणना कराई गई थी. लेकिन एक ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि लॉर्ड मेयो से 43 साल पहले 1828 में भी देश की धार्मिक नगरी काशी के आबादी की गणना कराई गई थी. यह गाना तत्कालीन समय की जेम्स प्रिंसेप के द्वारा सेंसस तकनीक विधि से वैज्ञानिक गाना कराई गई थी. जेम्स प्रिंसेप ने काशी के घाटों गलियों मंदिरों और मस्जिदों में रहने वाले साधू सन्यासियों फकीरों ब्राह्मणों सहित बनारस के घर घर में जाकर जनगणना कराई गई थी.

उनकी ओर से कराई गई जनगणना में परिवार में कितने सदस्य हैं किस व्यवसाय से जुड़े हैं सरकारी नौकरी में है अथवा नहीं उनकी आय क्या है आदि बिंदुओं के अलावा वह किस वर्ग में आते हैं सभी के आंकड़े जुटाए गए थे. डीएवी कॉलेज के अर्थशास्त्री प्रोफेसर अनूप मिश्रा ने बताया कि प्रिंसेप बनारस की नगरी व्यवस्था के विकास का खाका खींच रहे थे. जिसके अंतर्गत यहां की जनसांख्यिकी यानी बनारस के हर प्रवेश व मोहल्ले में कितने तरह के लोग हैं यही गणितीय आकलन करना था. 

बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के वाराणसी जिला अध्यक्ष पर हमला, केस दर्ज

प्रोफेसर अनूप मिश्रा बताते हैं कि उस काल में जेम्स प्रिंसेप द्वारा कराई गई जनगणना की रिपोर्ट डॉ मोतीचंद की पुस्तक काशी का इतिहास में देखने को मिलती है. जेम्स प्रिंसेप की रिपोर्ट में उस समय काशी की आबादी 1.8 लाख के करीब थी. जिनमें साधु संतों की संख्या 7000 शूद्र 60 हजार ब्राह्मण 32000 तथा बेस्ट 7000 राजपूत 14000 मुस्लिम 31,000. प्रोफेसर मिश्रा बताते हैं कि जेम्स प्रिंसेप की इसी रिपोर्ट के आधार पर दुनिया पहली बार काशी के सांस्कृतिक व सामाजिक व्यवस्था से परिचित हुई.

 

आज का अखबार नहीं पढ़ पाए हैं।हिन्दुस्तान का ePaper पढ़ें |

अन्य खबरें