स्वतंत्रता दिवस: देश भक्ति और प्रेम का प्रदर्शन करेगी बनारसी साड़ियां
- देशी रेशम के धागों से साड़ियों पर बना भारत का नक्शा. साड़ियों के माध्यम से बॉयकॉट चाइना का भी दिया जा रहा संदेश.
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वाराणसी। 74वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जनपद के बुनकरों ने आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की ठानी है. इस बार बिना चाइनीज धागों व उत्पादों का इस्तेमाल किये हुए बनारस के बुनकरों ने रेशमी तिरंगा बनारसी साड़ी पर भारत का नक्शा और बॉयकॉट चाइना का संदेश छापा है. इस स्वतंत्रता दिवस पर बाजार में आई तिरंगा साड़ियों में महिलाओं की खास दिलचस्पी भी देखने को मिल रहा है. चांदपुर स्थित एमएसएमई विकास संस्थान में देशी धागों से निर्मित बाइकाट चाइना और भारत के नक्शा वाली तिरंगा साड़ी का प्रदर्शन किया गया.
साड़ी वाराणसी के प्रसिद्ध साड़ी व्यापारी सर्वेश कुमार श्रीवास्तव व डिजाइनर अदीबा रफत की टीम ने इसे बनाया है. सर्वेश और अदीबा रफत काश्याम इंटरनेशनल वाराणसी की टीम से जुड़े हैं. सर्वेश और अदीबा ने बताया कि देश की नारी अब देश के समर्थन में खुलकर चाइना का विरोध करेंगी.
उन्होंने बताया कि बाजार में मिल रही रेशमी तिरंगे धागे वाली बनारसी साड़ी बॉयकॉट चाइना लिखी साड़ी भी रेशमी धागे से बुनी गई है. अदीबा रफत ने बताया कि इस बार 74वें स्वतंत्रता दिवस पर महिलाएं खास तैयारी में जुटी हैं, क्योंकि उन्हें बाजार में रेशमी तिरंगे धागों वाली बनारसी साड़ी मिल रही है. इस पर न केवल भारत का नक्शा बल्कि जय हिंद-जय भारत भी लिखा है. बॉयकॉट चाइना लिखी ये साड़ियाँ भी रेशमी तिरंगे धागों से बुनी हुई हैं.
अदीबा बताती हैं कि वे हथकरघा की बनी साड़ियां पसंद करती हैं और 15 अगस्त के मौके पर कुछ खास चाह रही थीं तो उन्होंने सर्वेश के साथ मिलकर तिरंगे वाली बनारसी साड़ी डिजाइन की. इस पर भारत के नक्शे पर 'जय हिंद-जय भारत' व बायकॉट चाइना भी लिखा. उन्होंने बताया कि ऐसी साड़ी को पहनकर देश की महिलाओं को काफी गर्व महसूस होगा. बतौर मुख्य अतिथि मौजूद निफ्ट के संयुक्त निदेशक शंकर कुमार झां ने कहा कि चूंकि भारत-चीन विवाद के दौरान बॉयकॉट चाइना का मुद्दा भी चल रहा है, उसी से संबंधित रेशमी तिरंगे धागों की बनी बनारसी साड़ी पर भी बॉयकॉट चाइना का संदेश लिखा हुआ है. इस 15 अगस्त से अच्छा मौका इस साड़ी को पहनने का नहीं हो सकता कि हमें चीनी उत्पाद का बहिष्कार कर देना चाहिए. खास बात यह भी है कि इस साड़ी में चाइना रेशम का इस्तेमाल न होकर भारतीय रेशम ही लगाया गया है.
साड़ी विक्रेता सर्वेश बताते हैं कि बनारसी साड़ी पारंपरिक रूप से बनती चली आ रही है, लेकिन उनकी सोच है कि समसायिक घटनाओं को भी बनारसी साड़ी से जोड़ा जाए. इसी सोच के साथ तिरंगे की साड़ी में भगवा रंग के आंचल पर भारत का नक्शा बनवाकर जय हिंद-जय भारत बुनकरों ने उकेरा है.
पीएम केयर्स फंड में करेंगे डोनेट
सर्वेश और अदीबा रफत ने बताया कि दोनों ही साड़ियों में भारतीय कतान, भारतीय टिसू और गोल्डन जरी लगी हुई है. यह साड़ी पूरी तरह से हथकरघा पर लगभग एक महीने की मेहनत के बाद बुनकरों ने तैयार की है.
उन्होंने बताया कि वैसे तो इन साड़ियों को कीमत से नहीं आँकी जा सकती, लेकिन इनकी लागत लगभग 11 हजार रुपया पड़ी है. इन साड़ियों से कमाई का कुछ हिस्सा पीएम केयर्स फंड या कोरोना वॉरियर्स के लिए भी डोनेट किया जाएगा. दोनों ने बताया कि साड़ी डिजाइन करने के पीछे उनका उद्देश्य आत्मनिर्भर भारत को प्रेरित करते हुए देश प्रेम को जगाना भी है. प्रदर्शनी के दौरान प्रमुख रुप से नफीस अहमद खान, हिमांशु शेखर, उप निदेशक वी.के वर्मा व सुरेन्द्र शर्मा इत्यादि लोग मौजूद रहे.
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