Saraswati Puja: कब है बसंत पंचमी? पौराणिक कथा में जानें कैसे हुई मां सरस्वती की उत्पत्ति

Pallawi Kumari, Last updated: Mon, 24th Jan 2022, 4:44 PM IST
  • मां सरस्वती को विद्या और ज्ञान की देवी कहा जाता है. हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी के तौर पर सरस्वती पूजा मनाई जाती है. इस बार 5 फरवरी को मां सरस्वती की पूजा की जाएगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्यों कि जाती है बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा और कैसे हुई इनकी उत्पत्ति.
देवी सरस्वती (फोटो -लाइव हिन्दुस्तान)

हिंदू धर्म में सभी देवी-देवताओं की तरह मां सरस्वती की पूजा भी विशेष महत्व होता है. स्टूडेंट्य, नौकरी पेशा और कला क्षेत्र के जुड़े लोग खासकर मां सरस्वती की पूजा करते हैं क्योंकि इन्हें ज्ञान की देवी भी कहा जाता है. सरस्वती पूजा हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को देशभर में मनाई जाती है. अलग-अलग हिस्सों में इस अलग तरीके मनाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्यों की जाती है बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा और कैसे हुई देवी सरस्वती की उत्पत्ति. अगर नहीं तो ये खबर आपके लिए है.

देवी सरस्वती की उत्पत्ति की कथा-

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार बह्माजी ने जब मानव रचना की तो पृथ्वीलोक मौन और नीरस था. धरती पर किसी प्रकार की कोई ध्वनि और रंग नहीं थी. त्रिदेव हैरान होकर एक दूसरे को देखने लगे क्योंकि वे सृष्टि की ऐसी रचना से संतुष्ट नहीं थे. उन्हें लगा किसी चीज की तो कमी है, जिसके कारण पृथ्वीलोक पर मौन है. तभी ब्रह्मा जी ने शिवजी और विष्णुजी से आज्ञा ली और अपने कमंडल से जल अंजलि में भरकर कुछ उच्चारण किया और पृथ्वी पर छिड़क दिया. 

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जल के छीटें पडते ही धरती में कंपन हुई और उस जगह एक शक्तिरूपी देवी की उत्पत्ती हुई, जिसके एक बाख में वीणा, दूसरे हाथ में तथास्तु एक हाथ में पुस्तक और एक में माला थी. ये देवी और कोई नहीं माता सरस्वती थी.

त्रिदेवों ने माता सरस्वती को प्रणाम किया और वीणा बजाने की प्रार्थना की. सरस्वती मां के वीणा बजाते ही पृथ्वी लोक के सभी जीव जंतु और जल भाव विभोर हो गए. चारों तरफ रौनक दिखने लगी. इसे देख त्रिदेवों ने उन्हें शारदे सरस्वती का नाम दिया.

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