बुद्ध ने 'धमेख स्तूप' पर दिया था धर्म उपदेश, सम्राट अशोक ने कराया इसका निर्माण

Smart News Team, Last updated: Wed, 7th Jul 2021, 1:27 AM IST
  • इस स्तूप का निर्माण सम्राट अशोक ने 500 ईसवी में करवाया था. बता दें, सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल में कई स्तूप बनवाए थे, इन स्तूपों में भगवान बुद्ध से जुड़ी कई निशानियां रखी गई थीं.
सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल में कई स्तूप बनवाए थे, इन स्तूपों में भगवान बुद्ध से जुड़ी कई निशानियां रखी गई थी. (Credit: Varanasi Tourism Official Site)

उत्तर प्रदेश के सारनाथ को गौतम बुद्ध की धर्म स्थली कहा जाता है. बौद्ध धर्म से जुड़े यहां पर कई ऐताहिसक स्थल और इमारतें मौजूद हैं. उन्हीं में से एक है 'धमेख स्तूप', वाराणसी से धमेख स्तूप की दूरी लगभग 13 किलोमीटर है. इस स्तूप का निर्माण सम्राट अशोक ने 500 ईसवी में करवाया था. बता दें, सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल में कई स्तूप बनवाए थे, इन स्तूपों में भगवान बुद्ध से जुड़ी कई निशानियां रखी गई थीं.

यहीं पर दिया था गौतम बुद्ध ने अपना पहला 'धर्म उपदेश': मान्यता है कि सारनाथ के डीयर पार्क में स्थित धमेख स्तूप ही वह जगह है, जहां पर भगवान गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त होने के बाद अपना पहला धर्म उपदेश दिया था और यहीं पर उन्होंने आर्य अष्टांग मार्ग भी अपने शिष्यों को बताया था. बौद्ध धर्म में मान्यता है कि आर्य अष्टांग मार्ग पर चलकर व्यक्ति मोक्ष पद को प्राप्त कर लेता है.

 

सारनाथ के डीयर पार्क में स्थित धमेख स्तूप ही वह जगह है, जहां पर भगवान गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त होने के बाद अपना पहला धर्म उपदेश दिया था. (Credit: Varanasi Tourism Official Site)

'धमेख स्तंभ' का ऊपरी हिस्सा हमेशा रहा अधूरा: गौतम बुद्ध की इस ऐतिहासिक इमारत को लेकर लोगों का मानना है कि इस स्तूप को छह बार बड़ा किया गया था. लेकिन इसके बावजूद स्तूप का ऊपरी हिस्सा हमेशा अधूरा ही रहा. कहा जाता है कि इस स्तूप का नाम एक बौद्ध भिक्षु ने रखा था.

धमेख स्तूप के आसपास घूमने की जगह: धमेख स्तूप के पास कई छोटे-छोटे स्तूप भी स्तिथ हैं. इतिहासकारों के मुताबिक इन सभी स्तूपों का निर्माण सम्राट अशोक के शासनकाल में हुआ था. इन स्तूपों की वास्तुकला हर किसी के लिए आकर्षण का केंद्र रहती है.

 

गौतम बुद्ध की इस ऐतिहासिक इमारत को लेकर लोगों का मानना है कि इस स्तूप को छह बार बड़ा किया गया था. (Credit: Varanasi Tourism Official Site)

धमूख स्तूप में घूमने के नियम: यहां पर आने वाले पर्यटकों के लिए कुछ खास नियम बनाएं गए हैं. मंदिर परिसर में कोई भी न तो चप्पल पहनकर अंदर आ सकता है और न ही यहां पर कोई मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर सकता है. इसके अलावा दिसंबर से जनवरी के महीनों में सुबह 11.30 से 12.30 तक यहां पर पर्यटक घूम सकते है. वहीं फरवरी से नवंबर के महीने में 11.30 से 1.30 तक यहां पर पर्यटक घूम सकते हैं.

 

मंदिर परिसर में कोई भी न तो चप्पल पहनकर अंदर आ सकता है और न ही यहां पर कोई मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर सकता है. (Credit: Varanasi Tourism Official Site)

दिल्ली से धमेख स्तूप की दूरी: सारनाथ में स्थित धमेख स्तूप दिल्ली से करीब 900 किमी की दूरी पर स्थित है. अगर हवाई मार्ग की बात करें, तो दिल्ली से सारनाथ के सबसे करीब वाराणसी हवाई अड्डा है, जो कि 20-25 किमी की दूरी पर स्थित है. एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद आप कैब से सारनाथ जा सकते हैं. सारनाथ का अपना ट्रेन जंक्शन मौजूद है और यह वाराणसी और गोरखपुर से जुड़ा हुआ है. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से सारनाथ जाने के लिए सुविधा उपलब्ध है. सड़क के रास्ते दिल्ली से सारनाथ 900 किलोमीटर दूर है. आप अपने वाहन से यहां पहुंच सकते हैं.

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