Diwali 2021: दिवाली के दिन खाई जाती है सूरन की सब्जी, जानें क्या है परंपरा ?

Pallawi Kumari, Last updated: Thu, 4th Nov 2021, 1:46 PM IST
  • दिवाली में साज सज्जा, खरीदारी और दीप जलाने के साथ ही खानपान का भी विशेष महत्व होता है. मिठाई और फल की तरह इस दिन सूरन यानी जिमीकंद की सब्जी भी जरूरी होती है. दिवाली के दिन सूरन की सब्जी घर पर बनाने और खाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है. आइये जानते हैं कि क्या है दिवाली 2021 पर सूरन की सब्जी की परंपरा.
दिवाली के दिन सूरन की सब्जी बनाने की परंपरा.

Diwali 2021: दीप और प्रकाश का त्योहार कही जाने वाली दिवाली के दिन मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर की पूजा पूरे विधि विधान के साथ की जाती है. इस खास अवसर पर घर की साफ सफाई कर उसे सजाया जाता है. दिवाली के दिन फल व मिठाई बेहद जरूरी होते हैं. इतना ही नहीं दिवाली के लिए घर पर लड्डू मिठाई और तरह तरह के पकवान भी बनाए जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन सूरन की सब्जी का भी खास महत्व होता है. सूरन को कई जगहों पर जिमीकंद के नाम से भी जाना जाता है. आइये बताते हैं कि दिवाली 2021 में ऐसा क्या करें जिससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगी.

बचपन से ही हम सभी अपने घरों में दिवाली के दिन दादी नानी द्वारा ये सुनते आए हैं कि दिवाली के दिन सूरन की सब्जी जरूर बनानी चाहिए. इस खबर में जानते हैं दिवाली के दिन सूरन की सब्जी बनाने की परंपरा और कारण के बारे में.

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कहा जाता है कि हिन्दू धर्म में दिवाली के दिन सूरन की सब्जी बनाने और खाने की परंपरा काशी (बनारस) से आई है. वहां दिवाली के दिन इस सब्जी को बनाया जाता है. घर में पूरा परिवार इस दिन इस सब्जी को जरूर खाता है. सूजन गोलाकार होता है आलू की तरह मिट्टी से खोदकर इसे बाहर निकाला जाता है. मिट्टी से बाहर निकालने के बाद भी इसकी जड़े मिट्टी में ही रह जाती है और अगली दिवाली में उसी जड़ से दोबारा सूरन तैयार हो जाता है.

सूरन की इसी विशेषता के आधार पर कहा जाता है कि ये दिवाली को उन्नति और खुशहाली से जोड़ती है. सूजन की इसी विशेषता के आधार पर दिवाली के दिन कई वर्षों से लेकर आजतक सूरन की सब्जी बनाने की परंपरा बनी हुई है. सूरन की सब्जी सिर्फ परंपरा के आधार पर नहीं बल्कि सेहत के लिए भी खूब फायदेमंद होती है. इसमें कैलोरी, फैट, कार्ब्स, प्रोटीन, पोटेशियम, घुलनशील फाइबर पर्याप्त मात्रा होता है.

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