Dussehra 2021: असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक दशहरा, जानिए कौन से मुहूर्त में पूजा करना होगा शुभ

Pallawi Kumari, Last updated: Fri, 15th Oct 2021, 6:07 AM IST
  • दशहरा का त्योहार असत्य पर सत्य की जीत का संदेश देता है. विजयदशमी लोगों को इस बात की प्रेरणा देती है, कि चाहे आप कितने भी शक्तिशाली क्यों न हों घमंड के कारण नाश निश्चित है. आज दशहरा पर जानिए इससे जुड़ा इतिहास और पूजा विधि.
शक्ति और धर्मनिष्ठा का प्रतीक है दशहरा का त्योहार.

शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन या अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि में दशहरा का त्योहार मनाया जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार आज के दिन ही मर्यादापुरुष भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया और मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार. इसलिए ये त्योहार शक्ति- मर्यादा और सत्य-असत्य का सबसे खास प्रतीक माना जाता है. दशहरा से व्यक्ति को इस बात का संदेश मिलता है कि चाहे आप आर्थिक या शारीरिक रूप से कितने भी शक्तिशाली क्यों न हों फिर भी मर्यादा में रहें और धर्मनिष्ठ होकर जीवन जिएं. क्योंकि इसी शक्ति के घमंड के कारण महाबली रावन का वध और महिषासुर का संहार हो गया.

दशमी तिथि में पड़ने वाले दशहरा को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है. आज 15 अक्टूबर को दशहरा का पर्व मनाया जाएगा. आज के दिन हर बुराई के अंत के तौर पर रावण का पुतला जलाया जाता है. इस दिन शस्त्र पूजा भी की जाती है. जानिए आज दशहरा में कौन से मुहूर्त में पूजा करना रहेगा शुभ.

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दशहरा पूजा मुहूर्त- विजयादशमी पूजा का मुहूर्त दोपहर 01:16 से 03:34 बजे तक रहेगा. विजय मुहूर्त दोपहर 02:02 बजे से 02:48 बजे तक रहेगा. दशमी तिथि की शुरुआत 14 अक्टूबर शाम 06:52 बजे से हो चुकी है और इसकी समाप्ति 15 अक्टूबर को शाम 06:02 बजे होगी.

विजयदशमी का इतिहास- पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान श्रीराम 14 साल के वनवास में थे तो रावण ने माता सीता का हरण कर लिया था. हरणकर रावण उसे लंका ले गया और बंदी बनाकर रखा. इसके बाद भगवान राम और लक्ष्मण जी ने बजरंगबली हनुमान, जामवंत, सुग्रीव और तमाम वानरों के साथ मिलकर एक सेना बनाई और जिसके साथ रावण से युद्ध किया. दस सिर वाले राक्षस रावण को युद्ध के दसवें दिन मार दिया. तब से दशमी को विजयदशमी के तौर पर मनाया जाता है. हर साल दशहरा के दिन रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण को बुराई का प्रतीक मानकर उनके पुतले जलाए जाने की परंपरा है.

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