कोरोना के चलते 185 वर्षों से आयोजित वाराणसी के रामनगर की रामलीला पर ग्रहण
- कोरोना के चलते वाराणसी के रामनगर की रामलीला पर ग्रहण लग गया. लगभग 185 वर्षों के रामलीला के इतिहास में पहली बार रामनगर में रामलला नही विराजेंगे. रामलीला पदाधिकारी व रामायणियों से बातचीत के बाद सांकेतिक आरती पर हो सकता है फैसला

देश में भयानक रूप से फैल रहे कोरोना महामारी को देखते हुए इस बार वाराणसी के रामनगर की विश्व प्रसिद्घ रामलीला को स्थगित किया गया है. इस वर्ष कुँवार मास के अधिमास लगने के कारण 1 अक्टूबर से शुरू होने वाली रामलीला के लिए अभी कोई तैयारी नही हुई है. साथ ही रामलीला से जुड़े लोगों को भी रामलीला के प्रति कोई सूचना नही दी गयी है.
गणेश चतुर्थी के दिन से प्रथम गणेश पूजन के साथ ही प्रत्येक वर्ष रामलीला की औपचारिक शुरुआत मान ली जाती थी. वहीं बलुआ घाट स्थित धर्मशाला में पंचस्वरूपों का प्रशिक्षण भी विद्वानों के सानिध्य में शुरू हो जाता था, लेकिन इस वर्ष रामलीला के पंचस्वरूपो का चयन भी नही किया गया. साथ ही शुक्रवार को प्रथम गणेश पूजन भी आयोजित न होने से लीलाप्रेमियो में मायूसी छा गयी है.
रामलीला के एक पदाधिकारी ने बताया कि इस वर्ष रामलीला का आयोजन नही होगा. विश्व प्रसिद्ध रामलीला के लगभग 185 वर्षों के इतिहास में यह पहला अवसर होगा जब रामलीला पूर्ण रूप से आयोजित नही हो सकेगी. अब तक वर्षा व्यवधान व पात्रों की तबियत खराब होने के कारण एक दो दिन की लीलाएं स्थगित हुई थी लेकिन यह पहला मौका होगा जब पूरी 30 दिन की रामलीला की स्थगित रहेगी.
रामलीलाधिकारी व रामायणियो से बात के बाद सांकेतिक रामलीला कराने का कुँवर कर सकते है फैसला
विश्व प्रसिद्ध रामलीला के संदर्भ में इससे जुड़े लोगों की माने तो धार्मिक आयोजनों पर पाबन्दी के केंद्र सरकार के फैसले के बाद इस वर्ष सांकेतिक रामलीला का आयोजन हो सकता है. जिस पर कुंवर अनन्त नारायण सिंह जल्द ही सभी से चर्चा कर फैसला कर सकते हैं. जिसके तहत किला परिसर में भगवान राम के साथ ही अन्य स्वरूपों के समक्ष रामायणियों द्वारा रामचरित मानस के दोहों का गान कराने के साथ ही आरती करायी जा सकती है. सावन मास में प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाली 14 दिवसीय श्रीकृष्ण रासलीला के स्थगन के बाद कुंवर ने श्रीकृष्ण झूले का पूजन कराया था. साथ ही मथुरा के एक चौबे ब्राह्मण को भोज कराकर चौबे भोज की परंपरा का निर्वहन किया था.
प्रथम गणेश पूजन न होने से लोगो मे छायी मायूसी
प्रत्येक वर्ष कुंवार मास में होने वाली विश्व प्रसिद्ध रामलीला के रामनगर में हर ओर खुशी का माहौल होता है. नगर में हर तरफ दुकानदार अपनी दुकान का रंग-रोंगन कराकर नगर में रामलला के विराजमान होने का इंतजार करते हैं. नगर के 3 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र के लगभग डेढ़ दर्जन स्थलों पर होने वाली यह रामलीला प्रतिदिन गतिमान रहती है. शुक्रवार को गणेश चतुर्थी के दिन देर शाम आयोजित होने वाली रामलीला के प्रथम गणेश पूजन के समय सैकड़ो लोग प्रतिभाग करने चौक स्थित पक्की पर एकत्रित हुए लेकिन जब लोगो को पता चला कि प्रथम गणेश पूजन की कोई तैयारी नही है तो वहाँ मौजूद लोगों में मायूसी छा गयी.
मुख्यमंत्री से रामलीला कराने की करेंगे माँग
नगर में होने वाली विश्व प्रसिद्ध रामलीला के स्थगित होने की सूचना के बाद नगर के लोगो में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गयी हैं. वहीं रामलीला के इतिहास में पहली बार ऐसा होने की संभावना से नाराज भाजपा पदाधिकारियों ने यह विषय मुख्यमंत्री के समक्ष उठाने का फैसला लिया है. भाजपा नेता प्रशांत सिंह, नन्दलाल चौहान व सतेंद्र सिंह ने रामलीला को रथयात्रा की तर्ज पर कराने की मांग की है. इन लोगो का कहना है कि सरकार प्रशासनिक व्यवस्था करके सीमित लोगो के साथ सामाजिक दूरी का पालन करते हुए रामलीला का आयोजन करवाने का अनुमति दे सकती है. रामलीला से सम्बंधित लीलास्थलों के क्षेत्रफल को देखते हुए 500 लोगों को रामलीला में सम्मलित होने का परमिशन देकर वर्षों पुरानी सनातन धर्म की आस्था की परंपरा का निर्वहन किया जा सकता है.
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