सख्ती के कारण दिवाली पर कम हुई आतिशबाजी, लोगों ने बनाई पटाखों से दूरी
- वाराणसी में पटाखों को लेकर एनजीटी के आदेश का असर दिखाई दिया. वाराणसी में कई जगह लोगों ने पटाखों से दूरी बनाकर रखी तो वहीं कुछ लोग लापरवाही दिखाते हुए आतिशबाजी करते दिखाई दिए.
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वाराणसी: प्रदूषण को देखते हुए इस बार एनजीटी न्यायालय ने पटाखों की बिक्री और उसे जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया था. पटाखे जलाने को लेकर कई जगह जुर्माने का भी प्रावधान था. ऐसे में कई जगह वाराणसी में एनजीटी के आदेश का असर दिखाई दिया. वाराणसी में कई जगह लोगों ने पटाखों से दूरी बनाकर रखी तो वहीं कुछ लोग लापरवाही दिखाते हुए आतिशबाजी करते दिखाई दिए. वाराणसी में राहत की बात यह रही की बीते साल की तरह धुआं और लगातार धमाके नहीं सुनाई और दिखाई दिए.
वाराणसी में पुलिस और प्रशासन की तरफ से पटाखे जलाने को लेकर कोई सख्ती नहीं देखने को मिली. कई जगह शहर में लोगों ने जहां भी पटाखे जलाए थे, वहां चारों तरफ कचरा बिखरा हुआ भी नजर आया. शाम होते-होते चेतगंज, लहुराबीर, गोदौलिया, मलदहिया और जागतगंज जैसे क्षेत्रों में पटाखों की आवाजें सुनने को जरूर मिलीं, लेकिन यह पिछले सालों के मुकाबले काफी कम रही. रिपोर्ट के मुताबिक दिवाली पर लोगों ने आवाज वाले पटाखों की जगह रोशनी वाले पटाखे फोड़ने ज्यादा पसंद किये.
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वाराणसी में पटाखे बेचने पर प्रतिबंध था, ऐसे में लोगों ने पुराने पटाखों से ही काम चलाया. जिले के लंका इलाके में शाम के छह बजे आसमान को रोशन कर देने वाले पटाखे जलते दिखाई दिए. बीएचयू कैंपस से लगे आसपास के क्षेत्र जैसे- भगवानपुर, सीरगोवर्धनपुर, छित्तूपुर, सामने घाट से लेकर डाफी बाईपास के इर्दगिर्द के गांवों में लोगों ने आतिशबाजी की. वहीं, अस्सी, शिवाला और भदैनी, रवींद्रपुरी, गुरुधाम और दुर्गाकुंड आदि कई क्षेत्रों में भी युवाओं ने भी पटाखे जलाए.
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