समितियों पर दीजिए दस किलो दूध तो मुफ्त मिलेगा एक किलो पशु आहार

Smart News Team, Last updated: Mon, 14th Dec 2020, 2:09 AM IST
  • पशुपालक यदि समिति को दस लीटर दूध देता है तो उसको एक किलो पशु आहार नि:शुल्क मिलेगा. इसका सीधा उद्देश्य यह है कि पशु आहार से पशुओं की सेहत में सुधार होगा और उनकी दूध देने की क्षमता बढे़गी और डेयरी में दूध की सप्लाई बढ़ेगी.
फाइल फोटो

वाराणसी. कोरोना संक्रमण काल में दुग्ध उत्पादन पर भी खासा असर पड़ा है. पशुपालकों और दुग्ध समितियों की बीच स्थिति पर असर पड़ने से डेयरी उद्योगों में भी मंदी आयी. इस बिगड़ी स्थिति को ठीक करने की कवायद शासन ने शुरू कर दी है. इसके लिए जिला योजना के अंतर्गत तकनीकी निवेश कार्यक्रम को सरकार से हरी झंडी मिल गयी है. इसके तहत पशुपालक यदि समिति को दस लीटर दूध देता है तो उस को एक किलो पशु आहार नि:शुल्क मिलेगा. इस सीधा उद्देश्य यह है कि पशु आहार से पशुओं की सेहत में सुधार होगा और उनकी दूध देने की क्षमता बढे़गी और डेयरी में दूध की सप्लाई बढ़ेगी. इसके अलावा पशुपालक के परिवार की अतिरिक्त आमदनी बढ़ेगी. सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना का फायदा वाराणसी व उसके आसपास जिलों के हजारों पशुपालकों को मिलेगा.

वाराणसी व आसपास के पांच जिलों में 403 दूध समितियां हैं. यह समितियां डाटा प्रोसेसिंग मिल्क कैल्कुलेटिग यूनिट मशीन से युक्त हैं. डीपीएमसीयू मशीन की खासियत होती है कि दुग्ध उत्पादक फैट, सॉलिड नाट फैट , दूध की मात्रा और मिलने वाली कीमत इसके जरिये तुरंत जान सकते हैं. सब चेक होने के बाद इसकी एक कंप्यूटराइज्ड स्लिप समिति में दूध बेचने वाले को दी जाती है. इस व्यवस्था से जहाँ गुणवत्ता बेहतर हो रही है वहीं पशुपालकों व उत्पादकों को पारदर्शिता के साथ दूध का सही दाम मिल जाता है. पर कोरोना काल में जहाँ लॉक डाउन व अन्य स्थितियाँ सामने आईं तो पशुपालकों ने समितियों पर जाना कम कर दूधियों व आसपास क्षेत्र में सामान्य बाजार की तरह ग्राहक बना दूध की खपत बढ़ा दी.

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इस तरह डेयरी पर दूध की आवक कम हो गयी.वहीं कोरोना संक्रमण के बीच जब शादी समारोह का आयोजन शुरू हुआ तो दूध की मांग और भी बढ़ने लगी. मिठाई, पनीर आदि बनाने के लिए दूध की खपत तेजी से बढ़ गई. डेयरी में डिमांड बढ़ने और आवक कम होने पर जब अपेक्षित आपूर्ति नहीं हुई तो दूसरे जिलों से कई हजार लीटर दूध डेयरियों द्वारा मंगाया गया. इस तरह से दोबारा फिर पशुपालकों को आकर्षित करने के लिए अब डेयरियां खुद ही अपने लक्ष्य को पाने की होड़ में हैं. नए नियम से जहाँ डेयरियों के लक्ष्य की पुनः प्राप्ति हो सकेगी वहीं फायदा और सहूलियत पाकर दोबारा पशुपालक समितियों की ओर आकर्षित होंगे.

 

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