गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी के रूप में मां सरस्वती स्वरूप की पूजा का महत्व
- आज गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी. ब्रह्मचारिणी मां दुर्गा के नौ स्वरूपों में दूसरा स्वरूप है. इनकी अराधना करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है और चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है. कहा जाता है कि आज ब्रह्मचारिणी की पूजा के साथ मां सरस्वती की पूजा करनी चाहिए.

बुधवार 2 फरवरी 2022 से माघी गुप्त नवरात्रि शुरू हो चुकी है और इसका दूसरा दिन है. गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. इन्हें मां दुर्गा की दूसरी शक्ति माना जाता है. बह्मा में लीन होने के कारण इन्हें ब्रह्मचारिणी कहा जाता है. इनके दाएं हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडल होता है. इन्हें त्याग, वैराग्य, तपस्या और ज्ञान की देवी कहा जाता है. नवरात्रि के दूसरे दिन आज मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी.
ब्रह्मचारिणी के साथ मां सरस्वती की उपासना-
नवरात्रि के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी के रूप में सरस्वती स्वरूप की भी उपासना की जाती है. देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की प्राप्ति होती है. जिनकी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति कमजोर होती है उन्हें ब्रह्मचारिणी की पूजा करनी चाहिए. आज माता के मन्त्रों के साथ चन्द्रमा के मंत्रों का जाप भी करें. आज शिक्षा और ज्ञान की प्राप्ति के लिये मां सरस्वती की उपासना की जाती है.
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मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि-
देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए सबसे पहले हाथों में फूल लें और मां का ध्यान करें. फिर मां को अलग-अलग तरह के फूल, अक्षय, कुमकुम और सिंदूर अर्पित करें. मां को पूजा में सफेद फूल जरूर चढ़ाएं. प्रसाद चढ़ाएं और इसके बाद सुपारी और पान भेंट करें. फिर अपने स्थान पर खड़े होकर तीन बार परिक्रमा करें. फिर घी के दिये व कपूर से मां की आरती करें और अंत में क्षमा प्रार्थना करें. फिर सभी में प्रसाद बांटे.
मां ब्रह्मचारिणी श्लोक और बीज मंत्र-
श्लोक- दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
बीज मंत्र- ओम ब्रां ब्रीं ब्रौं ब्रह्मचारिणीय नमः
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