भगवान श्रीकृष्ण और महाभारत से जुड़ी संख्या 18 का आखिर क्या है महत्व

Anuradha Raj, Last updated: Sun, 29th Aug 2021, 8:08 PM IST
  • 30 अगस्त को इस बार यानी 2021 में जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है. जन्माष्टमी के दिन भगवान विष्णु ने कृष्ण के रूप में 8वां अवतार लिया था.
जन्माष्टमी 2021

एक ऐसे रहस्य पर आज हम जन्माष्टमी 2021 के मौके पर बात करने जा रहे हैं, जिसके बारे में आप शायद ही जानते हों. 18 अंक का भगवान श्रीकृष्ण और महाभारत युद्ध से बेहद ही गहरा संबंध माना जाता है. ऐसे में आज हम 18 की मिस्ट्री को सुलझाने की कोशिश करेंगे. हमारी सभ्यता का विकास एक वक्त में परम ऊंचाइ पर पहुंच चुका था. कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं था जहां हमने नए कीर्तिमान नहीं बनाए हों, फिर चाहे वो ज्ञान, विज्ञान, कला या साहित्य से जुड़ा हो. वैसे हमारी सभ्यता के बिखराव का कारण महाभारत का युद्ध ही माना जाता है. आज भी कुछ महाभारत काल से जुड़े कुछ रहस्य ऐसे भी हैं जिन पर से अभी तक पर्दा नहीं उठ पाया है.

 उन्हीं से से एक अंक 18 है, जिसे लेकर आज भी रहस्य बना रहता. कई लोगों का ये मानना भी है कि महाभारत के युद्ध में संख्या 18 का बहुत ही ज्यादा महत्व था. महाभारत के युद्ध का जब आप अवलोकन करेंगे तो पता चलेगा कि बार-बार इस संख्या का इस्तेमाल हुआ है. महाभारत के युद्ध में 18 का बेहद ही खास महत्व माना जाता है. 18 दिनों तक अर्जुन को भगवान श्री कृष्ण ने गीता का ज्ञान दिया था. कुल मिलाकर 18 अध्याय महाभारत की किताब में है. गीता जो हिंदू धर्म की बेहद हीमहत्वपूर्ण पुस्तक मानी जाती है उसमें भी 18 अध्याय ही है. 

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इतना ही नहीं बल्की 18 अक्षौहिणी सेना कौरवों और पांडवों की सेना में थी. इतना ही नहीं बल्कि 18 सूत्रधाार थे महाभारत का युद्ध करवाने में. महाभारत के युद्ध की समाप्ति पर भी सिर्फ 18 योद्धा ही बचे थे. 18 दिनों तक ही महाभारत का युद्ध चला था. इसी बीच 18 दिनों तक अर्जुन को भगवान श्री कृष्ण ने गीता का ज्ञान दिया था. ऐसे में ये सवाल जरूर उठता है महाभारत में बार-बार 18 का इस्तेमाल होना क्या संयोग है. लेकिन बार-बार कोई भी काम संयोग नहीं हो सकता. हालांकि अभी तक इस रहस्य से पर्दा नहीं उठ पाया है.

 

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