वाराणसी में जन्माष्टमी आज, 13 को वैष्णवजन मनाएंगे जन्माष्टमी
- सनातन धर्म में भाद्र कृष्ण अष्टमी को श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत करने के रूप में मान्यता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है. भगवान के दस अवतारों में से सर्व प्रमुख पूर्णावतार सोलह कलाओं से परिपूर्ण भगवान श्रीकृष्ण को माना जाता है, जो द्वापर के अंत में हुआ था.

ज्योतिषाचार्य पंडित पुरूषोत्तम दास के अनुसार इस बार कृष्ण जन्माष्टमी व्रत 11 अगस्त को मनाई जाएगी. वहीं रोहिणी मतावलंबी वैष्णव जन 13 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाएंगे. अष्टमी की तिथि 11 अगस्त को प्रात: 6.15 मिनट पर लग रहा है, जो 12 अगस्त को प्रात 8.01 मिनट तक रहेगा. वहीं रोहिणी नक्षत्र 12-13 अगस्त को मध्य रात्रि को 1.29 मिनट पर लगेगा. कुल मिलाकर इस बार अष्टमी में रोहिणी नक्षत्र का संयोग नहीं बन रहा है.
रोहिणी मतावलंबी उदय व्यापिनी वैष्णव लोग 13 अगस्त को कृष्ण जन्मोत्सव मनाएंगे. यह सर्वमान्य और पापग्न व्रत बाल, कुमार, युवा व वृद्ध सभी अवस्था वाले नर नारियों को करना चाहिए. इससे उनके पापों की निवृत्ति और सुखाग्नि में वृद्धि होता है।
ऐसे करें व्रत और पूजन
व्रतियों को चाहिए कि उपवास के पहले दिन रात्रि में अल्पाहार करें. इस व्रत को करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है व पुत्र की इच्छा रखने वाली महिलाओं को पुत्र, धन की कामना वालों को धन यहां तक की इस व्रत को करके कुछ भी पाना असंभव नहीं रहता. अंत में बैकुंठ की प्राप्ति होती है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर लोग अपने घरों में भी भगवान की झांकी सजाते हैं. ऐसे में बाजारों में खिलौने की दुकानें सज गईं, जहां तरह-तरह के सजावटी खिलौने और रंग-बिरंगे बालू और मिट्टी की खूब बिक्री हुई.
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