संगीत की खान है काशी की कबीर चौरा गली, 7 पदम विजेताओं के घारने का सुर है शामिल
- धार्मिक और हथकरघा वस्त्र कारीगरी में जितना नाम काशी का है ठीक उतना ही नाम संगीत के क्षेत्र में भी है. यहां की कबीर चौरा गली में संगीत के साथ एक दो नहीं वल्कि सात सात घरानों से संगीत के सातों स्वर गूंज रहे हैं.

वाराणसी. बता दें कि काशी नगरी कला संस्कृति और संगीत के विधा में भी खासी पहचान रखती है. देवाधिदेव महादेव की इस नगरी में माता सरस्वती की वीणा से निकले संगीत आज भी देशभर में गूंजते हैं. काशी की कबीर चौरा गली संगीत के सुरों की खान मानी जाती है. मौजूदा समय में इस गली में एक नहीं बल्कि साथ पदम विभूषित पुरस्कार से सम्मानित संगीतकारों के संगीत से गूंज रही है. स्थानीय लोगों के लिए यह गली पदम गली के नाम से मशहूर हो चुकी है. खास बात यह है कि इस गली में संगीत की तीनों विधाएं गायन वादन और नृत्य के क्षेत्र के नामचीन संगीतज्ञ घराने रह रहे हैं.इन कलाकारों ने साधना के जरिए ऊंचाई हासिल की तो देश को भी दुनिया में संगीत के क्षेत्र में पहचान दिलाई है.
इसी गली में रहने वाले फिल्मी दुनिया में अपनी संगीत से झनक झनक पायल बाजे, मेरी सूरत तेरी आंखें, बसंत बहार व शोले जैसी सुपर हिट फिल्मों में अपनी कला से लोहा मनवाने वाले सुप्रसिद्ध संगीतकार और ख्याति प्राप्त तबला वादक पंडित समता प्रसाद मिश्र को साल 2012 में पदम श्री और साल 1991 में पदम भूषण सम्मान से नवाजा गया. तबले में अपनी सिद्धहस्त था और वादन के खास अंदाज के लिए जाने पहचाने जाने वाले पंडित किशन महाराज को 1973 में पदम श्री और 2002 में पदम विभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया.
इसी तरह शास्त्री संगीत को सुरों की ऊंचाई देने वाली ठुमरी गायिका गिरजा देवी को साल 1989 में पदम भूषण और साल 2016 में पदम विभूषण सम्मान से अलंकृत किया गया. जबकि ख्याल गाय की के लिए देश दुनिया में मशहूर सुप्रसिद्ध शास्त्री गायक पंडित राजन और पंडित साजन मिश्र पदम विभूषण से सम्मानित किए जा चुके हैं. फिल्मी दुनिया में अनेक फिल्म अभिनेत्रियों को नृत्य का प्रशिक्षण देने के साथ ही सतरंगी पर्दे पर अपनी कला दिखा चुकी सितारा देवी पदम श्री सम्मान से नवाजी जा चुकी हैं.
इसी तरह काशी की कबीर चौरा गली में रहने वाली सितारा देवी के भतीजे अभिनेता डांसर वह कोरियोग्राफर गोपी कृष्ण को भी पदम श्री सम्मान प्राप्त हो चुका है. काशी की कबीर चौरा गली के अलावा बनारस के विश्वविद्यालय विश्वविद्यालय भी पदम विभूतियों की फैक्ट्री है. संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में पदम पुरस्कारों से सम्मानित विभूतियों की संख्या दहाई में है तो काशी विश्वविद्यालय में चार विभूतियां भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित हैं.
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पदम सम्मान से नवाजे जा चुके 25 छात्र व टीचर है जो देश का गौरव बढ़ा रहे हैं. इसके अलावा संगीत के क्षेत्र में नामचीन हस्तियों में पंडित छन्नूलाल मिश्रा गोपीनाथ कविराज पंडित रविशंकर उस्ताद बिस्मिल्लाह खान रामकृष्ण दास प्रोफेसर राजाराम शास्त्री पंडित समता प्रसाद पंडित विद्यानिवास मिश्र पंडित राजन साजन मिश्र प्रोफेसर देवी प्रसाद द्विवेदी सितारा देवी मोहम्मद शाहिद प्रशांत सिंह प्रोफेसर राम शंकर शास्त्री ऐसी विभूतियां है जो या तो काशी में जन्मी है या फिर उनकी कर्मभूमि काशी रही है.
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