गुरुवार को कालाष्टमी व्रत, जातकों को मिलती है लंबी जिंदगी के साथ मृत्यु के भय से मुक्ति
- 28 अक्टूबर को कासाष्टमी का व्रत रखा जाएगा. शुभ मुहूर्त 28 अक्टूबर को दोपहर 12:49 पर शुरू होकर 29 अक्टूबर 02:09 पर खत्म होगा. एक साल में कुल 12 कालाष्टमी आती हैं. भगवान भैरव के भक्तों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है. भैरव अष्टमी का व्रत करने से मृत्यु के भय से मुक्त हो जाते हैं.
कालाष्टमी व्रत की हिंदु धर्म में बहुत मान्यता है. 28 अक्टूबर को कालाष्टमी का व्रत रखा जाएगा. कालाष्टमी कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दौरान प्रत्येक हिंदू चंद्र माह में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है. एक साल में कुल 12 कालाष्टमी आती हैं. भगवान भैरव के भक्तों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है. इस दिन भगवान भैरव के भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और कालाष्टमी के दिन उनकी पूजा करते हैं.
कालाष्टमी जिसे लोग काल भैरव, कालभैरव जयंती, भैरव अष्टमी और काला अष्टमी के नाम से भी जानते हैं. ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव उसी दिन भैरव के रूप में प्रकट हुए थे. यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि सप्तमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत रखा जा सकता है. ग्रंथ के अनुसार कालाष्टमी का व्रत उस दिन करना चाहिए जिस दिन अष्टमी तिथि रात में रहती है.
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माना जाता है भक्त सफलता, धन और स्वास्थ्य के लिए भगवान भैरव की पूजा-अर्चना करते हैं. भक्तों का मानना है कि भैरव अष्टमी का व्रत करने से उनके पाप धुल जाएंगे और वे मृत्यु के भय से मुक्त हो जाएंगे.
कालाष्टमी की तिथि:
28 अक्टूबर को कालाष्टमी (कृष्ण अष्टमी) का व्रत रखा जाएगा. कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त 28 अक्टूबर को दोपहर 12:49 पर शुरू होकर 29 अक्टूबर 02:09 पर खत्म होगा.
कालाष्टमी का कैसे करें व्रत:
कालाष्टमी के शुभ दिन पर सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करले. उसके बाद भगवान शिव और पार्वती के साथ कालभैरव की पूजा करें. की लोग इस दिन कठोर उपवास रखते हैं. यदि संभव हो तो उपवास करें. भगवान काल भैरव के मंदिर में पूजा-अर्चना करें. इस कुत्तों को खाना खिलाए मान्यता है कि कुत्तों को खाना खिलाने से भगवान भैरव प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. ये भी माना जाता है इस दिन रतजगा (रात में जागने) से व्रत के पुण्य में वृद्धि होती है.
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