काशी के पुरोहित ऑनलाइन कराएंगे त्रिपिंडी श्राद्ध और दिलाएंगे प्रेत बाधा मुक्ति
- काशी के पुरोहितों ने की फेसबुक पेज पर श्राद्ध संबंधी कर्मकांड में सहायता के लिए हेल्पलाइन शुरू करने की तैयारी, गूगल मीट और जूम के माध्यम से शांत करेंगे यजमानों की जिज्ञासा

वाराणसी : काशी के पुरोहितों ने कोरोना महामारी से उत्पन्न हालात को देखते हुए क्रिया-कर्म के लिए ऑनलाइन व्यवस्था की है. काशी को मोक्ष की नगरी कहा जाता है. कहते हैं यहां जो इंसान अंतिम सांस लेता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. काशी में चेतगंज थाने के पास पिशाच मोचन कुंड है. ऐसी मान्यता है कि यहां त्रिपिंडी श्राद्ध करने से पितरों को प्रेत बाधा और अकाल मृत्यु से मरने के बाद व्याधियों से मुक्ति मिल जाती है. पितृ पक्ष के दिनों में पिशाच मोचन कुंड पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है. इस बार यहां के पुरोहितों ने पितृपक्ष में सामूहिक त्रिपिंडी श्राद्ध ऑनलाइन कराने की व्यवस्था की है. पुरोहितों ने फेसबुक पेज पर श्राद्ध संबंधी कर्मकांड में सहायता के लिए नि:शुल्क हेल्पलाइन शुरू करने की तैयारी की है. गूगल मीट और जूम के माध्यम से पुरोहित अपने यजमानों की जिज्ञासा शांत करेंगे.
पिशाचमोचन नाम से फेसबुक पेज बनाया जा रहा है. इस पेज पर श्राद्ध का महात्म्य, इसके विधान, तिथिवार विवरण के साथ अपलोड उपलब्ध कराया जाएगा. पेज पर पिशाचमोचन से जुड़े पुरोहितों व कर्मकांडी ब्राह्मणों के फोन नंबर भी रहेंगे. तीर्थ पुरोहित पं. आलोक भट्ट ने बताया कि जूम और गूगल मीट के माध्यम से ऑनलाइन श्राद्ध कराने की तैयारी की जा रही है. फेसबुक लाइव के माध्यम से लोग प्रतिदिन पुरोहितों के साथ तर्पण भी कर सकते हैं. पिशाच मोचन में प्रतिवर्ष देश-विदेश के 18 से 20 लाख लोग श्राद्ध के निमित्त आते हैं. बता दें कि भारत में सिर्फ पिशाच मोचन कुंड पर ही त्रिपिंडी श्राद्ध होता है. काशी खंड की मान्यता के अनुसार पिशाच मोचन मोक्ष तीर्थ स्थल की उत्पति गंगा के धरती पर आने से भी पहले से है. यहां पितृ पक्ष में आकर कर्मकांडी ब्राह्मण से पूजा करवाने से मृतक को प्रेत योनियों से मुक्ति मिल जाती है.
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